ईरान की न्यूक्लियर सरगर्मीयां कोई नई बात नहीं :अमेरीका

अमरीका ने आज कहा कि वो ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम में पेशरफ़त के दावे से ज़्यादा मुतास्सिर नहीं है क्योंकि ईरान महिज़ हव्वा खड़ा कर रहा है और इस इक़दाम ( कार्य निष्पादन) का मक़सद सिर्फ अपने मुल्क में अवाम को तसल्ली देना है। स्टेट डिपार्टमैंट के तर्जुमान विक्टोरिया नलनद ने अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि एक बात बिलकुल वाज़िह है और वो ये कि ईरान बैन-उल-अक़वामी दबाव को ग़ैरमामूली तौर पर महसूस कर रहा है, इसके इलावा वो सिफ़ारती तौर पर भी यक्का-ओ-तन्हा हो गया , जिस की वजह से मआशी (आर्थिक/जीविका संब‍धी) दबाव में इज़ाफ़ा हो रहा है।

सदर ईरान महमूद अहमदी नज़ाद ने कल सरकारी टेलीविज़न पर पेश होते हुए ईरान के पहले देसी साख़ता ( निर्मित) न्यूक्लियर आलात, 20 फ़ीसद अफ़्ज़ोदा न्यूक्लियर ईंधन की तफ़सील बताई थी जो तेहरान के रिसर्च री ऐक्टर के लिए तैयार किया गया था। विक्टोरिया नलनद ने इन ख़बरों और री ऐक्टर की सरगर्मीयों के बारे में कहा कि हमारा ये एहसास है कि इस में कोई नई बात नहीं है और ना ये कोई बड़ी ख़बर है।

दरहक़ीक़त ऐसा महसूस होता है कि न्यूक्लियर प्रोग्राम को गै़रज़रूरी उछाला जा रहा है। ईरानी अवाम तवील अर्सा से ( बहुत् ल‍बे समय से ) न्यूक्लियर प्रोग्राम के बारे में ना सिर्फ तशवीश बल्कि उस की तकमील का बेसबरी से इंतिज़ार कर रहे हैं। हालाँकि हक़ीक़त ये है कि ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम की तकमील के ताल्लुक़ से अभी काफ़ी पीछे है चुनांचे सदर ईरान ने महिज़ अपने अवाम की तश्फ्फ़ी के लिए इस तरह का हथकंडा इस्तेमाल किया।

उन्हों ने कहा कि ईरान का ये रद्द-ए‍अमल ( प्रतीक्रिया) सिर्फ और सिर्फ मुल्क पर बढ़ते हुए दबाव का नतीजा है। ये बात भी काबिल-ए-ग़ौर है कि कल तेहरान में पुरअमन एहितजाजी मुज़ाहरा को तशद्दुद के ज़रीया दबा दिया गया। गुज़श्ता कई दिन से बड़े पैमाने पर इंटरनेट राबिता ( संब‍ध) मुनक़ते ( खंडित) किया जा रहा है और अपोज़ीशन क़ाइदीन को मुसलसल नज़रबंद रखा जा रहा है।

विक्टोरिया नलनद ने कहा कि इससे साफ़ ज़ाहिर है कि ईरान की मौजूदा हुकूमत को बैरूनी चैलेंज के साथ साथ दाख़िली सतह पर भी शदीद मुख़ालफ़तों का सामना है और ईरान इस सूरत-ए-हाल से निमटने में अब तक कामयाब नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि ईरान के ताज़ा मुहर्रिकात का बख़ूबी अंदाज़ा लगाया जा सकता है और हमारा ये नुक़्ता-ए-नज़र है कि महमूद अहमदी नज़ाद की कल दिखाई गई सरगर्मीयों में कोई नई या काबिल-ए-ग़ौर बात नहीं है।

उन्हों ने कहा कि हमारी बातचीत का मर्कज़ी मौज़ू यही है कि ईरान के ख़िलाफ़ तहदीदात में मज़ीद सख़्ती लाई जाए ताकि वो मुज़ाकरात के लिए आमादा हो जाए। उन्हों ने कहा कि ईरान को अब भी ये साबित करना होगा कि इस का प्रोग्राम पुरअमन अग़राज़ के लिए होगा। वाईट हाउस के प्रेस सेक्रेटरी जय करने ने कहा कि अमेरीका, ईरान की हलीफ़ ममालिक के साथ जारी बातचीत पर नज़र रखे हुए है।

उन्हों ने अख़बारी नुमाइंदों को बताया कि इस वक़्त हम जो कुछ देख रहे हैं, वो इश्तिआल अंगेज़ ( पीड़ाजनक़) सरगर्मीयां, हट धर्मी और हक़ीक़ी मौज़ू से तवज्जा हटाने वाले ब्यानात हैं और ये सिर्फ़ तहदीदात के असरात लग रहे हैं। इन से साबित हो चुका है कि ईरान यक्का-ओ-तन्हा हो गया है। हम ने इस यक़ीन का इज़हार किया है कि तहदीदात ने ईरान की मईशत और हुकूमत पर भी कारी ज़रब लगाई है। उन्हों ने कहा कि ईरान ने हक़ीक़ी ( वास्तविक) सूरत-ए-हाल से तवज्जा हटाने के लिए जो हर्बा (हथियार) इस्तेमाल किया, वो कोई नई बात नहीं है और मजमूई ( सामूहिक) तौर पर यक्का-ओ-तन्हा हो जाने की वजह से इस ने ब्रहमी के आलम में कल बाअज़ ( चंद) ऐलानात किए।

जय करने ने कहा कि अमेरीका ऐसे अंदाज़ में तहदीदात आइद कर रहा है जिस के मतलूबा नताइज बरामद हो सके और ईरान मज़ीद यक्का-ओ-तन्हा हो जाए, इस के साथ साथ इस पर दबाव में भी इज़ाफ़ा हो। ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम से मुताल्लिक़( संबंधित) सवालात का जवाब देते हुए उन्हों ने कहा कि ये सरगर्मीयां अब भी आई ए ई ए क़वाइद के तहत हैं। उन्हों ने बताया कि अमेरीका ने ईरान की पुरअमन और सियोल न्यूक्लियर सरगर्मीयों पर कभी एतराज़ नहीं किया।

इस के बरअक्स ( विप्रीत) 2009 में अमेरीका और दीगर ममालिक ने मिल कर ईरान के साथ काम करने की तजवीज़ पेश की थी ताकि मख़सूस री ऐक्टर के लिए ईंधन की सरबराही( प्रबंध) बरक़रार रखी जा सके और ये री ऐक्टर मेडीकल आईज़ विटू पस की तैयारी के लिए था जिसे कैंसर के ईलाज में इस्तेमाल किया जाता है। उन्हों ने बताया कि ईरान ने इबतदा-ए-में इस पेशकश को क़बूल कर लिया था लेकिन बाद में इसने अपना मौक़िफ़( निश्चय, इरादा) तबदील कर लिया।

उन्हों ने कहा कि हमारा मक़सद सिर्फ यही है कि ईरान , बैन-उल-अक़वामी (( अंतर्राषट्रीय) क़वाइद की तामील करे और न्यूक्लियर हथियारों की तैयारी में किसी तरह की दिलचस्पी ना ले और बैन-उल-अक़वामी ( अंतर्राषट्रीय) बिरादरी में दुबारा वापस आए।