इसराईल के फ़ौजी सरबराह ने कहा कि वो नहीं समझते कि ईरान एटम बम बनाने के हक़ में कोई फ़ैसला करेगा क्योंकि ईरानी रहनुमा बड़े माक़ूलीयत पसंद अफ़राद हैं। ये तब्सिरा बहरहाल वज़ीर-ए-आज़म इसराईल बिंजा मन नितिन याहू के अंदाज़े के बरअक्स है।
लेफ्टीनेंट जनरल बीनी गीन्ज़ ने बाएं बाज़ू के अख़बार हैरीज़ में कल शाय शूदा अपने इंटरव्यू में कहा लेकिन इस पर इसराईल में कोई तवज्जा नहीं दी गई।कल इसराईल में हलाक होने वाले फ़ौजीयों का सालाना यादगार दिन मनाया गया।
इस रोज़ सयासी मुकालमा मुअत्तल रहता है।
इसराईली फ़ौजी सरबराह का ये इज़हार-ए-ख़्याल बहरहाल इस बैन-उल-अक़वामी बहस में शिद्दत ज़रूर पैदा करेगा कि क्या ईरान यूरेनियम अफ़्ज़ोदा करने के अपने प्रोग्राम का रुख अस्लाह साज़ी की तरफ़ मोड़ सकता है और ईरान को न्यूक्लीयर ताक़त बनने से रोकने पर बज़िद इसराईल को फ़ौजी हमला करने का मौक़ा फ़राहम करने का ख़तरा मोल ले सकता है।
गीन्ज़ का कहना है कि ईरान मरहला वार एक ऐसे मोड़ तक पहुंच रहा है जहां वो ये फ़ैसला करने के काबिल हो जाएगा कि क्या उसे न्यूक्लीयर बम बनाना चाहीए। अभी तक ईरान ने ये फ़ैसला नहीं किया कि क्या उसे इस सिम्त में पेशक़दमी करनी चाहीए।
उन्होंने कहा कि बहरहाल ईरान के मज़हबी रहनुमा अयातुल्लाह् खुमैनी को अगर ये यक़ीन हो जाए कि ईरान को जवाबी कार्रवाई का सामना नहीं होगा तो वो न्यूक्लीयर हथियारों की तैयारी का रास्ता इख्तेयार कर सकते हैं। गीन्ज़ ने कहा कि जहां तक वो समझते हैं अगर खुमैनी ने ऐसा कोई क़दम उठाया तो ये उन की ज़बरदस्त ग़लती होगी और वो नहीं समझते कि खुमैनी इस सिम्त में पेशक़दमी करेंगे।
उन्होंने कहा कि ईरानी क़ियादत बड़े ही माक़ूल अफ़राद पर मुश्तमिल है लेकिन इस के साथ ही वो इस बात से भी इत्तेफ़ाक़ करते हैं कि इस्लामी बुनियाद परस्तों के पास ऐसी सलाहीयत (एटम बम)का होना ख़तरनाक होगा क्योंकि वो लोग बाअज़ औक़ात मुख़्तलिफ़ अंदाज़ में सोचते हैं।
इसराईल ने जिसे मशरिक़ वुस्ता में वाहिद न्यूक्लीयर ताक़त समझा जाता है ईरानी न्यूक्लीयर प्रोग्राम रोकने के लिए इक़्तेसादी पाबंदीयों की नाकामी की सूरत में ईरान के ख़िलाफ़ फ़ौजी कार्रवाई को ख़ारिज अज़ इम्कान क़रार नहीं दिया। इसका कहना है कि तमाम मुम्किना कार्यवाईयों को ज़ेर-ए-ग़ौर लाया जा सकता है।
पिछले हफ़्ते वज़ीर-ए-आज़म नितिन याहू ने कहा था कि मौजूदा हुकूमत ईरान खुल कर और मुसम्मम इरादे के साथ इसराईल की तबाही-ओ-बर्बादी के मंसूबे पर अमल पैरा है और इस मक़सद के हुसूल के लिए ही वो न्यूक्लीयर हथियार बनाना चाहती है।