ईरान के जवाब में न्यूक्लियर असलाह हासिल करने सऊदी अरब की धमकी

ईरान की जानिब से एटमी बम का कामयाब तजुर्बा किए जाने की सूरत में सऊदी अरब ने भी फ़ौजी अग़राज़ पर मबनी एटमी प्रोग्राम शुरू करने की धमकी दी। अमेरीकी जरीदा टाईम्स ने ख़बर दी है कि सऊदी अरब ने 2008 में अमेरीका के साथ तयशुदा अपने समझौता में कहा था कि इस का न्यूक्लियर प्रोग्राम सिर्फ़ सियोल मक़ासिद के लिए होगा लेकिन अंदेशा है कि तेहरान की तरफ़ से न्यूक्लियर बम बनाए जाने की सूरत में रियाद इस समझौता को तर्क कर सकता है।

सऊदी अरब के बावसूक़-ओ-मोतबर ज़राए ने कहाकि यकतरफ़ा फ़ौजी न्यूक्लियर प्रोग्राम शुरू करने का फ़ीलहाल कोई इरादा नहीं है लेकिन तेहरान अगर अपने तौर पर एटमी असलाह तैयार करता है तो इस के फ़ौरी बाद सऊदी अरब की पालिसी भी तबदील होसकती है। सऊदी ज़राए ने मज़ीद कहाकि सयासी तौर पर ये बात क़तई नाक़ाबिल-ए-क़बूल होगी कि ईरान न्यूक्लियर सलाहीयत का हामिल होजाए और सऊदी अरब के पास कोई ऐटमी बम ना हो, हम इस बात को भी क़बूल नहीं करेंगे।

ऐसी किसी सूरत में सऊदी अरब समुंद्र पार से जदीद बलास्टिक प्लेटफार्म, न्यूक्लियर वार हेडस की ख़रीदी का काम शुरू करसकता है। इलावा अज़ीं एटमी असलाह बनाने की सलाहीयत का हामिल यूरेनियम हासिल करने की कोशिश भी कर सकता है। मग़रिबी ममालिक के सीनीयर ओहदेदार समझते हैं कि इस ज़िमन में सऊदी अरब और पाकिस्तान की मुफ़ाहमत भी हो सकती है जिस के मुताबिक़ अगर ख़लीजी ममालिक की सलामती को ख़तरा लाहक़ होता है तो ईस्लामाबाद से रियाज़ को न्यूक्लियर वार हेडस फ़राहम किए जा सकते हैं।

एक मग़रिबी ओहदेदार ने टाईम्स से कहाकि ईस्लामाबाद से रुजू होने की सूरत में रियाज़ के लिए एटमी असलाह हासिल करना महिज़ चंद हफ़्तों की बात होगी। मज़ीदबराँ अगर रियाद, एटमी वार हेडस के हुसूल की ख़ाहिश का इशारा करता है तो दीगर ममालिक भप्पी तेल की दौलत से मालामाल ख़लीज के इस ताक़तवर मुल्क को एटमी वार हेडस मुहय्या करने की दौड़ में शामिल हो सकते हैं।