ईरान के मीज़ाईल तजुर्बे

ईरान के न्यूक्लियर अज़ाइम पर मग़रिबी ममालिक में पाई जाने वाली बेचैनी के दरमयान तहरान ने आबनाए हुर्मुज़ के क़रीब बहरी मश्क़ों के दौरान क्रूज़ मीज़ाईल के कामयाब तजुर्बा का ऐलान किया है तो इस से मग़रिबी ताक़तों की नींदें हराम हो गई हैं।

सिफ़ारती कशीदगी में इज़ाफ़ा होता है तो आने वाले दिनों में ईरान के मसला पर अमेरीका के बिशमोल कई मुल्क मज़ीद तहदीदात के धमकी आमेज़ ब्यानात जारी करेंगे। फौजी ताक़त का मुज़ाहरा करना हर मुल्क का ज़ाती मुआमला होता है।

मगर ईरान के मुआमला में अमरीका और इस के दोस्त मुल्कों की राय मुख़्तलिफ़ है। ईरान ने अपने फ़ौजी और साईंसी तरक़्क़ी का मुज़ाहरा किया है तो इस के साथ ये भी कहा है कि वो आलमी ताक़तों के साथ एक और दौर की बातचीत करने के लिए तैयार है। ईरान को अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम से कोई समझौता किए बगै़र आलमी ताक़तों को बातचीत की मेज़ पर लाना चाहता है।

लेकिन ये आलमी ताक़तों के लिए मुम्किन नहीं है। इन मुल्कों ने पहले ही कह दिया है कि ईरान को अपनी फ़ौजी ताक़तों और न्यूक्लियर अज़ाइम के मसला पर मुहतात बल्कि अपनी हद में रहना होगा। आलमी ताक़तें ख़ुद को आलमी उसूलों और ज़वाबत से बालातर समझते हैं और दीगर ममालिक पर धौंस जमाकर अपने नाम निहाद उसूलों को तस्लीम करने पर ज़ोर देते हैं।

ईरान आलमी ताक़तों की ज़्यादतियों के सामने हरगिज़ घुटने नहीं टीकेगा । गुज़श्ता इतवार ख़लीज मैं बहरी मश्क़ों के दौरान 2 तवील फासलाती मीज़ाईलों का कामयाब तजुर्बा किया गया इस से अमरीका और इसराईल को ख़बरदार करना है कि अगर इस पर मज़ीद तहदीदात नाफ़िज़ किए गए तो आगे के हालात उन के लिए तशवीशनाक होंगी।

ये मीज़ाईल इसराईल और अमरीकी अड्डों को निशाना बना सकते हैं। फ़्रांस ने ईरान के मीज़ाईल तजुर्बा को बहुत ही ख़राब इशारों से ताबीर किया है तो इस की फ़िक्र ईरान के मुस्तक़बिल के अज़ाइम से है। ख़लीज में एक तंग बहरी रास्ता आबनाए हुर्मुज़ है जहां से गुज़र कर मग़रिबी मुल्कों को तेल की सरबराही अमल में आती है।

ईरान ने तहदीदात के ख़िलाफ़ इंतिबाह दे रखा है कि अगर आलमी ताक़तों ने ईरान के ख़िलाफ़ किसी किस्म की हमाक़त की तो वो आबनाए हुर्मुज़ को बंद करदेगा। आबनाए हुर्मुज़ में दो मीज़ाईल तजुर्बों के ज़रीया इस इंतिबाह को तवक़्क़ियत दी गई है कि ईरान अब मज़ीद तहदीदात को हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करेगा इस के जवाब में मग़रिब को भी मसाइल का सामना करना पड़ेगा।

आबनाए हुर्मुज़ में 10 रोज़ा जंगी मश्क़ों और 2 मीज़ाईल क़ादिर और नूर के तजुर्बे आलमी तेल मार्किट को हिलाकर रख दिए हैं। ईरान के कमांडर हबीबउल्लाह सावरी काकहना है कि आबनाए हुर्मुज़ हमारे क़बज़ा में है और इस समुंद्री रास्ते पर हमारा कंट्रोल है वो किसी भी वक़्त किसी भी निशाना पर ज़रब लगा सकते हैं।

इस का मतलब यही है कि ईरान आलमी ताक़तों को सख़्त इंतिबाह देना चाहता है कि अगर इस पर आलमी तहदीदात सख़्त बना दिए गए तो वो जवाबी कार्रवाई में देर नहीं करेगा। क़ादिर मीज़ाईल को अगस्त में तैयार किया गया था जो 125 मील्स के फ़ासले पर ज़रब लगा सकता है। ये मीज़ाईलें ख़लीज में ताय्युनात अमरीकी फ़ोर्स को भी निशाना बना सकते हैं। ईरान के इन इक़दामात के लिए आलमी ताक़तें ही ज़िम्मेदार हैं।

ईरान की तेल बरामदात पर पाबंदी लगाकर आलमी ताक़तों ने ख़ुद अपना ख़सारा किया है। अब अगर ईरान ने आबनाए हुर्मुज़ का रास्ता बंद करदिया तो अमरीका और पूरे मग़रिब की गिरती मईशत मज़ीद अबतर होगी। लेकिन ईरान ने मुज़ाकरात के अमल को बरक़रार रखने की पेशकश करते हुए मग़रिब के लिए एक राह फ़राहम की है ताकि वो आबनाए हुर्मुज़ की राह को मस्दूद करने का कोई सख़्त फ़ैसला करने से क़बल अमरीका और इस के साथी अपना ग़ैर ज़िम्मा दाराना और जांबदाराना किरदार ख़तन करदें। ईरान के आला मुज़ाकरात कार सय्यद जलीली भी मुज़ाकरात की मेज़ पर आने के लिए तैयार हैं मगर अमेरीकी सदर ने अपनी सदारती मुहिम की ख़ातिर अमरीकी राय दहिंदों को ये तास्सुर देने के ले ब्यानात दे रहे हैं कि अमेरीका ने ईरान के न्यूक्लियर अज़ाइम को हरगिज़ बर्दाश्त नहीं किया है।

ईरान के साथ कशीदगी को कम करने के बजाय नई कशीदगी पैदा करने की ख़ातिर धमकी आमेज़ ब्यानात दिए जा रहे हैं। ईरान के सैंटर्ल बैंक से रुकमी मुआमलत रखने वाले मुल्कों को वाज़िह किया गया कि उन्हें ईरान या अमरीका दोनों में से किसी एक का इंतिख़ाब करना होगा। अमेरीका इस नए क़ानून से ईरान के सैंटर्ल बैंक के साथ किसी भी मुल्क के बैंक की लेन देन नहीं होगी।

ईरान के साथ अपने न्यूक्लियर तनाज़ा को हल करने के लिए अमेरीका का अगर यही जानिब दाराना और धौंस जमाने वाला रवैय्या बरक़रार रहे तो हालात को बेहतर बनाने की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। ईरान के यौरा नियम ताबकारी प्रोग्राम को ना रोकने पर अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ने पहले ही चार मर्तबा तहदीदात नाफ़िज़ किए हैं।

इस के इलावा अमरीका और योरोपी यूनीयन ने भी ज़ाइद इक़दामात करते हुए ईरान पर मआशी और मालीयाती जुर्माने आइद किए हैं। लेकिन इन सख़्तियों के बावजूद ईरान ने अपनी मीज़ाईल सलाहीयतों का मुज़ाहरा किया है तो ये मुआमला सूरत-ए-हाल को बेहतर तरीक़ा से समझने और इस को हल करने की राह तलाश करने की तरग़ीब देता है इस लिए आलमी ताक़तों को अपनी हटधर्मी और जानिब दाराना पालिसीयों को ख़तन करके तहदीदात और धमकीयों का अमल रोक देना होगा।

ईरान को भी बोहरान की कैफ़ीयत पैदा होने से क़बल वक़्त के तक़ाज़ा के मुताबिक़ बे यक़ीनी को ख़तन करने कुछ इक़दामात करने होंगी। बाअज़ औक़ात मुश्किलात पैदा करने वाले हालात से गुरेज़ करना ज़रूरी होता है।