ऐसे में जब ईरान और छः आलमी ताक़तों के दरमयान तारीख़ी समझौता तय होने की हतमी तारीख़ में महज़ चंद हफ़्ते बाक़ी रह गए हैं, ईरानी जौहरी मुज़ाकरात कारों के क़रीबी सिफ़ारती ज़राए ने कहा है कि पेशरफ़्त की रफ़्तार ख़ासी सुस्त दिखाई देती है।
ज़राए ने रूसी ख़बररसां इदारों को बताया है कि ये सुस्त रवी परेशानी की बाइस है, क्योंकि 30 जून की डेडलाइन से क़ब्ल मुज़ाकरात की हतमी तारीख़ क़रीब आती जा रही है। बातचीत का ताज़ा तरीन दौर जुमे को व्याना में हुआ।
ईरान इस बात पर बज़िद है कि नए समझौते के एक हिस्से के तौर पर, बैनुल अक़वामी मुआइना कारों को मुल्क की फ़ौजी तंसीबात तक रसाई नहीं दी जा सकती। इन तंसीबात का मुआइना मग़रिबी मुल्कों का एक कलीदी मुतालिबा है।