ईरान न्यूक्लीयर हथियार तैयार नहीं करेगा, अमरीका से बेहतर रवाबित का इशारा

ईरान न्यूक्लीयर हथियार तैयार नहीं करेगा और वो अमरीका के साथ तामीरी रवाबित इस्तिवार करने की ख़्वाहिश रखता है। ईरान के नए सदर हसन रूहानी ने आज अक़वाम-ए-मुत्तहिदा जनरल असेंबली इजलास से ख़िताब के दौरान ये बात कही, जिससे ईरान के मौक़िफ़ में नुमायां तबदीली का इज़हार होता है।

रुहानी ने कहा कि उन्होंने उसी प्लेटफार्म से सदर अमरीका बारक ओबामा की तक़रीर की बग़ौर समाअत की। उन्होंने कहा कि ईरान को तवक़्क़ो है कि अमरीकी क़ाइदीन सियासी राह इख़तियार करते हुए जंगी सूरत-ए-हाल पैदा करने वाले मुफ़ादात-ए-हासिला को बाज़ रखने की कोशिश करेंगे। हम एक ऐसा तरीका-ए-कार इख़तियार कर सकते हैं जहां इख़तिलाफ़ात को ख़त्म किया जा सके।

हसन रूहानी ने कहा कि ईरान और अमरीका को इस मुआमले में यकसाँ मौक़िफ़ इख़तियार करना होगा। हसन रूहानी को एतिदाल पसंद तसव्वुर किया जाता है और वो जून में ईरान के नए सदर मुंतख़ब हुए। ओहदा सँभालने के फ़ौरी बाद उन्होंने मग़रिबी ममालिक के साथ सख़्तगीर मौक़िफ़ के बारे में अपना लायेहा-ए-अमल वाज़िह तौर पर तबदील करने का इशारा दिया था।

अक़वाम-ए-मुत्तहिदा इजलास से ख़िताब के दौरान भी उन्होंने एतिदाल पसंदी का मुज़ाहरा किया। यही नहीं बल्कि इजलास से क़ब्ल उन्हों ने अमरीका के साथ बाहमी रवाबित में बेहतरी का ऐलान किया था। हसन रूहानी ने अपनी तक़रीर के दौरान पेशरू सदर महमूद अहमदी नज़ाद के इख़तियार किये रवैया के बरअक्स अमरीका के साथ दोस्ताना ताल्लुक़ात की सिम्त पहल की है। उन्होंने दीगर ममालिक में ड्रोन के इस्तिमाल की अमरीकी पॉलिसी पर तन्क़ीद की। इसके इलावा फ़लस्तीनी अवाम के ख़िलाफ़ जारी जराइम का भी तज़किरा किया। सदर अमरीका बराक ओबामा ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा जनरल असेंबली से ख़िताब करते हुए कहा कि दहशतगर्दी के ख़ातमे के लिए सारी दुनिया ने मिल कर जद्द-ओ-जहद की। उन्होंने बताया कि पाँच साल क़ब्ल तक़रीबन एक लाख 80 हज़ार अमरीकी फ़ौजी मुख़्तलिफ़ ममालिक में दहशतगर्दी के ख़िलाफ़ जारी लड़ाई में मसरूफ़ थे, और आज सूरत-ए-हाल में नुमायां तबदीली आई है चुनांचे इराक़ से अमरीकी फ़ौज का मुकम्मल तख़लिया होगया। आइन्दा साल अफ़्ग़ानिस्तान में इत्तिहादी ताक़तों की जंग ख़त्म होजाएगी और हमने 9/11 हमले के बाद अलक़ायदा के ख़िलाफ़ जो लड़ाई शुरू की थी, उसे पाया-ए-तकमील को पहुंचा दिया है। उन्हों ने कहा कि इस लड़ाई में अक़वाम-ए-मुत्तहिदा का नुमायां रोल रहा। ओबामा ने उस वक़्त शाम में जारी बोहरान का तज़किरा किया और कहा कि इस इलाक़े में अदम इस्तिहकाम, सारी बैन-उल-अक़वामी बिरादरी के लिए एक बड़ा चैलेंज है और हमें इस से निमटना होगा। उन्होंने कहा कि मशरिक़ वुसता और शुमाली अफ़्रीक़ा में लड़ाई की सूरत में हमें इस का मूसिर जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि जब बच्चों को आसाब शिकन ग़ियास का शिकार बनाया जाये या मुल्क में ख़ानाजंगी की सूरत-ए-हाल हो तब बैन-उल-अक़वामी बिरादरी किस तरह ख़ामोश रह सकती है। उन्होंने कहा कि एक शहरी समाज की ये ज़िम्मेदारी बनती है कि अवाम को इन तकालीफ़ से नजात दिलाई जाये। इस ज़िमन में उन्होंने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के रोल और साथ ही बैन-उल-अक़वामी क़ानून का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि जहां तक शाम का ताल्लुक़ है, बैन-उल-अक़वामी बिरादरी को चाहीए कि वो कीमीयाई हथियारों पर इमतिना आइद करे।

ओबामा ने शाम की ख़ानाजंगी को ख़त्म और इस के पुरअमन हल के लिए तमाम ममालिक की मुशतर्का कोशिशों का ख़ैरमक़दम किया। ओबामा ने अपनी तक़रीर में ईरान के न्यूक्लीयर हथियारों के प्रोग्राम और अरब । इसराईल तनाज़े का भी हवाला दिया। उन्हों ने कहा कि अगरचे ये सारे इलाक़ा का मसला नहीं है, लेकिन उस की वजह से अदम इस्तिहकाम का अंदेशा है चुनांचे उन मसाइल की यकसूई के ज़रीया वसीअ तर अमन यक़ीनी बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने ईरान के रूहानी पेशवा की जानिब से न्यूक्लीयर हथियार तैयार करने के ख़िलाफ़ फ़तवा का ज़िक्र किया और कहा कि सदर हसन रूहानी ने भी इस मौक़िफ़ का इआदा किया कि इन का मुल्क कभी न्यूक्लीयर हथियार तैयार नहीं करेगा। ओबामा ने कहा कि इस तरह के बयानात से एक बामक़सद मुआहिदा की बुनियाद तैयार होसकती है।

उन्होंने फ़लस्तीन- इसराईल तनाज़े का हवाला देते हुए कहा कि अमरीका का ये मौक़िफ़ है कि फ़लस्तीनी अवाम को उनके अपने मुल्क में सलामती और वक़ार के साथ रहने का हक़ है। इस के साथ साथ इसराईल के दोस्त ममालिक बशमोल अमरीका को ये तस्लीम करना होगा कि इसराईल की बहैसीयत यहूदी-ओ-जम्हूरी ममलकत सलामती का इन्हिसार फ़लस्तीनी ममलकत का क़ियाम यक़ीनी बनाने पर है। उन्होंने कहा कि अरब ममालिक और फ़लस्तीनी काज़ की ताईद करने वालों को भी ये तस्लीम करना चाहीए कि दो मुमलिकती हल और एक महफ़ूज़ इसराईल के ज़रिया ही इलाक़े में इस्तिहकाम यक़ीनी बनाया जा सकता है। उन्होंने अपनी तक़रीर में मिस्र के हालात का भी ज़िक्र किया। मुहम्मद मुर्सी जम्हूरी तौर पर मुंतख़ब हुए लेकिन वो मूसिर हुक्मरानी में नाकाम रहे। उबूरी हुकूमत जिसने मुर्सी की जगह ली है, वो मिस्र के लाखों अवाम की तमन्नाओं की तर्जुमान है, लेकिन इसने भी ऐसे इक़दामात किए, जो जम्हूरियत के मुग़ाइर है, इन में एमरजैंसी का निफ़ाज़, सहाफ़त और सिविल सोसाइटी के इलावा अपोज़िशन जमातों पर तहदीदात शामिल हैं।