ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध: जरूरी दवाओं पर पड़ सकता है असर!

ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंधों का असर दिखने लगा है. सीधे तौर पर ना हो कर भी यह कई चीजों पर भारी असर डाल रहा है और उनमें दवाएं भी शामिल हैं.

अमेरिका ने जब से ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों का घेरा कसने का एलान किया है तेहरान में रहने वाले 36 साल के मसूद मीर की नींद उड़ गई है. समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में उन्होंने कहा, “ईरान पर प्रतिबंधों की चर्चा फिर तेज हो गई है, मेरी जरूरी दवाएं फिर नहीं मिलेंगी.”

ईरान में थैलसेमिया से पीड़ित लोगों की एक बड़ी तादाद है. इन लोगों को ना सिर्फ इस बीमारी से बल्कि उन प्रतिबंधों के नतीजों से भी जूझना पड़ रहा है जिन्हें दोबारा लगाने का एलान अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अगस्त में किया.

इन प्रतिबंधों के साथ ही ईरानी मुद्रा की कीमत घट जाती है, विदेशी दवाएं दुर्लभ हो जाती हैं और कीमतों में भारी इजाफा हो जाता है. मसूद मीर को स्विट्जरलैंड में बनी एंटी आयरन ओवरलोड दवा नियमित रूप से लेनी पड़ती है.

सरकार ने इसका कोटा तय कर रखा है और अगर ज्यादा चाहिए तो बाजार में ऊंची कीमत दे कर खरीदनी पड़ेगी. मल्टीपल स्केलेरोसिस, कैंसर, दिल की बीमारी और यहां तक कि सामान्य एनस्थीसिया के लिए भी यही हाल है. संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने इस मामले में दखल दिया है और प्रतिबंधों को स्थगित करने के मामले में ईरान के पक्ष में फैसला सुनाया.

हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत में जजों ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि ईरान में “दवाइओं और चिकित्सा उपकरणों के साथ ही खाने पीने और कृषि उत्पादों” और विमान के पुर्जों के निर्यात पर अमेरिका को प्रतिबंध हटाने चाहिए. ईरान के आधिकारिक बयानों में इस बात को माना गया है कि देश में दवाओं की कमी है और सरकार का यह भी कहना है कि कई दवाओँ के आयात को अब सब्सिडी भी नहीं दी जाती.

संसद के स्वास्थ्य आयोग के सदस्य मोहम्मद नईण अमिनीफार्द ने अर्धसरकारी समाचार एजेंसी आईएसएनए को बताया, “फिलहाल हमारे पास 80 फार्मास्यूटिकल्स की कमी है.

सरकार और इंश्योरेंस कंपनियों ने उन विदेशी दवाओँ के लिए समर्थन हटा लिया है जिनके घरेलू संस्करण मौजूद हैं इसकी वजह से मरीजों पर दबाव बढ़ गया है.”

ईरान अपने यहां इस्तेमाल होने वाली 96 फीसदी दवाएं खुद बनाता है लेकिन इसके लिए कच्चा माल का आधा से ज्यादा हिस्सा उसे आयात करना पड़ता है. एक तरफ बैंकिंग पर रोक और दूसरी तरफ ईरानी मुद्रा की गिरती कीमतों ने दवाओं के मामले में इसकी आत्मनिर्भरता को असंभव नहीं तो मुश्किल तो बना ही दिया है.