ईरान पर इसराईली हमले के ख़तरात में इज़ाफ़ा

दुबई। 15 अक्तूबर(एजैंसीज़) अमरीका को आगाह किए बगै़र इसराईल के ईरान पर फ़िज़ाई हमला के ख़दशात बढ़ गए हैं। ये ख़तरा मंडला रहा है कि नतिन याहू एक मज़ाहरी हमला के इमकानात को बढ़ाते हुए मौजूदा सयासी तात्तुल को तोड़ सकते हैं। हालिया हफ़्तों में इसराईली मिल्ट्री और एन्टलीजेन्स हलक़ों में ज़बरदस्त मुबाहिस जारी हैं कि आया ईरान के न्यूकलीयर तंसीबात पर फ़ौजी कार्रवाई की जाय या नहीं। ज़ाहिरि बहस का कलीदी सवाल ये है कि हमला में अमरीका के हिस्सा लेने को किस तरह यक़ीनी बनाया जाय या कम अज़ कम इबतिदाई कार्रवाई तवील जंग का दहाना खोल देती है तो इसराईल की तरफ़ से मुदाख़िलत करे। इन मुबाहिस की इत्तिलाआत ने वाशिंगटन और कई योरोपी ममालिक को काबिले लिहाज़ हद तक चौकस करदिया है। चंद माहिरीन हर्ब का ये कहना है कि ईरान पर इसराईली फ़िज़ाईया के हमला का मौक़ा अंदरून दो माह में खोल दिया जाएगा चूँकि मौसिम-ए-सर्मा के आग़ाज़ पर इस तरह का हमला मज़ीद मुश्किल होजाएगा। ये समझा जा रहा है कि अमरीका के मोतमिद दिफ़ा लीवन पनेटा के /3 अक्तूबर के दौरा तिल अबीब की असल वजह यही है कि अमरीका को पेशगी तौर पर आगाह किए बगै़र इसराईल ने हमला करने का फ़ैसला करलिया है। इन के दौरा का असल मक़सद इसराईल को लगाम लगाना है। इसराईली रोज़नामा हारीटज़ के अमोस हराएल ने पनेटा के पयाम के यूं तौज़ीह की कि अमरीका इसराईल के साथ है लेकिन ईरान पर बेला इश्तिआल इसराईली हमला एक इलाक़ाई जंग को छेड़ देगा। अमरीका इसराईल के दिफ़ा के लिए काम करेगा लेकिन इसराईल को ज़िम्मा दाराना रवैय्या इख़तियार करना होगा। इसराईल के वज़ीर-ए-दिफ़ा ऐहूद बारक के साथ मुशतर्का प्रैस कान्फ़्रैंस में अमरीका मोतमिद दिफ़ा ने कहा कि अमरीका बहुत ज़्यादा मुतफ़क्किर है और हम इलाक़ा के लिए ख़तरा साबित होने से ईरान को रोकने के लिए जो भी मुनासिब होगा मुत्तहदा तौर पर करेंगे। इस का इन्हिसार ताहम मिल जल कर काम करने वाले ममालिक की ईमा पर होगा। उन्हों ने बारहा मर्तबा मिल जल कर का लफ़्ज़ दुहराया है। बाअल्फ़ाज़-ए-दीगर वो ये कहना चाहते हैं कि इसराईल को अमरीका से ग्रीन सिगनल हासिल किए बगै़र कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। हालिया बरसों में इसराईल ने अक्सर धमकी दी है कि वो ईरान पर हमला करदेगा। इस मौज़ू का दुबारा इआदा क्यों किया जा रहा है? कहीं इसराईल को ख़ौफ़ है कि ईरान न्यूकलीयर बम की तैय्यारी की सलाहीयत पैदा कर लेने के क़रीब पहुंच चुका है? बेशतर एन्टुली जिन्स माहिरीन ये तस्लीम करते हैं कि ईरान ने न्यूकलीयर हथियार तैय्यार करने का हनूज़ फ़ैसला नहीं किया है। इसराईल का इस इक़दाम के पसेपर्दा शायद ये ख़दशा है कि कहीं अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की सीकोरीटी कौंसल के पाँच मुस्तक़िल अरकान और जर्मनी जो P5+ कहलाते हैं वो कहीं अज सर-ए-नौ मुज़ाकरात के लिए ईरान की पेशकश को क़बूल ना करलीं। इसराईल को डर है कि ईरान के साथ कहीं मुफ़ाहमत पर ना पहुंच जाएं जिस से शहरी मक़ासिद के लिए यौरानियम की अफ़्ज़ दूदगी की उसे इजाज़त मिल जाए। जिस के नतीजा में मुस्तक़बिल में दुनिया एक न्यूकलीयर ईरान के साथ बाहमी वजूद पर रज़ामंद होजाएगी। अगर ऐसा होता है तो न्यूकलीयर हथियार के हामिल होने की की इजारादारी से इसराईल कहीं महरूम ना होजाए जो उसे इस ख़ित्ता में हर्बी बरतरी को बरक़रार रखने की कलीद है।