ईरान पर प्रतिबंध लगाकर सफल नहीं हुई अमेरिका तो ट्रम्प पर उठेंगे सवाल!

अमरीका ने बड़े पैमाने पर प्रोपैगंडा करने के बाद 5 नवंबर से ईरान पर दूसरे चरण के प्रतिबंध लगा दिए। इन प्रतिबंधों में प्रत्यक्ष रूप से ईरान की जनता को निशाना बनाया गया है। यदि अमरीकी अधिकारी इससे हट कर कोई भी बात करते हैं तो यह आंख में धूल झोंकने के समान है।

अमरीकी विदेश मंत्रालय में ईरान के मामलों के अधिकारी ब्रायन हुक ने मंगलवार को दावा किया था कि ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं लेकिन ईरान को दवाएं, चिकित्सा उपकरण तथा कृषि से संबंधित चीज़ें बेचने पर रोक नहीं लगाई गई है।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम क़ासेमी ने इस दावे के जवाब में कहा कि अमरीकी झूठ और धोखाधड़ी करके ईरान की जनता के विरुद्ध अमानवीय और अत्याचारपूर्ण कार्यवाही को जनहित में उठाया हुआ क़दम ज़ाहिर करने की कोशिश कर रहे हैं।

ब्रायन हुक ने अपने दावे को आगे बढ़ाते हुए बुधवार को फिर बयान दिया कि ईरान पर दबाव बढ़ाने के लिए ईरान के तेल की आमदनी से जुड़े बैंक खातों पर भी प्रतिबंध लगाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी देश को अधिकार नहीं है कि वह ईरान का तेल एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाए या उसका इंश्योरेन्स करे।

अमरीका ने अपने प्रतिबंधों की जो लंबी सूची तैयार की है उसका एक प्रमुख लक्ष्य ईरान की जनता पर भारी आर्थिक दबाव डालना है। ईरान के तेल निर्यात को ज़ीरो बैरल तक पहुंचाने की कोशिश और ईरान पर वायु व समुद्री प्रतिबंध लगाना आम जनता के जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने वाला क़दम है और अंतर्राष्ट्रीय नियमों के अनुसार यह मानवाधिकार का हनन है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार मामलों के विशेष आयुक्त इदरीस अलजज़ीरी ने कहा कि अमरीका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से ईरान की आम जनता का जीवन प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि ईरान पर अमरीका की ओर से पुनः प्रतिबंध लगाया जाना गैर क़ानूनी, अत्याचारपूर्ण तथा हानिकारक है।

ईरान के विरुद्ध अमरीका के प्रतिबंध कोई नई बात नहीं है। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने अपने भाषण में कहा कि चालीस साल के दौरान अमरीकियों ने ईरान के ख़िलाफ़ जो कार्यवाहियां की हैं उनमें एक आर्थिक युद्ध है।

अब अगर वह कहते हैं कि प्रतिबंध लगाकर ईरान के विरुद्ध नई कार्यवाही कर रहे हैं तो यह वास्तव में ख़ुद को तथा अमरीकी जनता को धोखा देना है क्योंकि प्रतिबंध तो इस्लामी क्रान्ति की सफलता के समय से ही लगे हुए हैं। टीकाकारों का कहना है कि न तो ईरान विरोधी प्रतिबंध कोई नई बात है और न ही प्रतिबंधों का विफल होना कोई चौंकाने वाली बात होगी।