ईरान पर हमला शिया सुन्नी एकता को नष्ट करने की कोशिश: प्रोफेसर अखतरुल वासे

नई दिल्ली: मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी जोधपुर के अध्यक्ष प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने ईरानी संसद और इमाम खमैनी के मज़ार पर हुए आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए आज कहा कि संसद पर हमला इस्लाम के लोकतांत्रिक स्वभाव पर हमला है और इमाम खमैनी के मज़ार पर हमला इस्लाम की क्रांतिकारी भावना को ध्वस्त करने की कोशिश है।

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आज यहां यूएनआई से बात करते हुए प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने कहा कि यह हमला दरअसल शिया सुन्नी एकता को नष्ट करने की कोशिश है। आईएस वाले जो जिम्मेदारी ले रहे हैं वे मूल रूप से न तो सुन्नी हैं और न ही शिया बल्कि वह नई दौर के ख्वारिज हैं और वर्तमान स्थिति में गठबंधन और लापरवाही से काम लेते हुए ऐसी सभी शक्तियों का पूरी सख्ती के साथ मुकाबला करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि जब आईएस या इस्लामी राज्य के उग्रवादी पश्चिमी देशों पर हमला करते हैं और गैर मुस्लिम समाज को निशाना बनाते हैं तो वह यह हरकत उनसे दुश्मनी की वजह से नहीं करते बल्कि उन देशों में मुसलमानों के लिए जमीन तंग करना चाहते हैं, और इस्लाम को बढ़ावा देने की संभावना को सिमित करना चाहते हैं। इसलिए ये लोग दुनिया के भी दुश्मन हैं और इस्लाम और मुसलमानों के भी दुश्मन हैं।

कश्मीरी उग्रवादी जाकिर मूसा के भारतीय मुसलमानों के बारे में बयान के संबंध में प्रोफेसर अख्तरुल वासे का कहना था कि ‘अगर इस वैश्विक गांव में इस्लाम का कोई व्यावहारिक और प्रभावी मॉडल है तो वो भारत है। उन्होंने कहा कि इस्लाम भारत में एक हजार साल से धार्मिक, भाषाई, सांस्कृतिक और विभिन्नता वाले समाज में रहा और इस देश में मुसलमानों ने आठ सौ वर्षों तक बतौर रजा और आधुनिक सत्ता में बराबर के भागीदार के रूप में आगे बढ़ते रहे हैं और हमें खुदा और खुद पर पूरी तरह भरोसा है और हमारी ताकत भारत का सेकुलर स्वभाव और हमारा संविधान है।