ईशनिंदा के आरोप में हत्या के मामले में पाकिस्तानी अदालत ने एक छात्र को फांसी की सजा सुनाई

पेशावर : पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने ईशनिंदा के झूठे आरोप को लेकर 23 वर्षीय छात्र की पीट-पीटकर हत्या करने के लिए बुधवार को एक छात्र को मौत की सजा सुनाई। इसके अलावा पांच अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आतंकवाद निरोधक अदालत के न्यायाधीश फजल सुभान ने सुरक्षा कारणों से हरिपुर की एक जेल में यह फैसला सुनाया। फैसले के अनुसार मामले के मुख्य आरोपी इमरान अली को मौत की सजा सुनाई गई।

अदालत ने एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। गत वर्ष अप्रैल में पाकिस्तान के मरदन शहर स्थित अब्दुल वली खान विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के छात्र मशाल खान को सैकड़ों छात्रों की भीड़ ने उसके छात्रावास से इस अफवाह को लेकर बाहर खींच लिया था कि उसने सोशल मीडिया पर कुछ ईशनिंदा सामग्री डाली है। यह आरोप निराधार साबित हुआ। छात्र को निर्वस्त्र करके बुरी तरह से पीटा गया और बाद में उसे गोली मार दी गई। उसके शव को भी क्षत-विक्षत किया गया।

अली भी विश्वविद्यालय का छात्र है और उसने मशाल पर गोली चलाना स्वीकार किया था। मामले के कुल 57 आरोपियों को अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने 25 को चार वर्ष जेल की सजा सुनाई जबकि 26 अन्य को बरी कर दिया। इस मामले का एक आरोपी मियां सईद गत 4 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि पाकिस्तान तहरीके इंसाफ का एक तहसील काउंसलर सहित तीन और संदिग्ध अभी फरार हैं।

मीडिया से बात करते हुए, मशाल खान के पिता इकबाल ने कहा कि उन्होंने महसूस किया कि न्याय नहीं दिया गया है क्योंकि वीडियो साक्ष्य के बावजूद अदालत ने 26 संदिग्धों को बरी कर दिया। खैबर पख्तुनख्वा मुख्यमंत्री परवेज खट्टाक ने कहा कि उनकी सरकार 26 लोगों के निर्दोष के खिलाफ अपील करेगी। “पुलिस तीन फरारों को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है ।