लखनऊ: अलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज एक याचिका पर करवाई करते हुए भारत के अटॉर्नी-जनरल को नोटिस भेजा| याचिका में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को उनके पदों से हटाने की मांग की गई है|
उच्च न्यायालय की लखनऊ ने इस मामले की अगली सुनवाई 24 मई को निर्धारित करी है|
न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और वीरेंदर कुमार की एक जिला पीठ ने संजय शर्मा द्वारा दायर की गई जनहित याचिका के सम्बन्ध में यह आदेश दिया है|
याचिका में कहा गया था की एक सांसद, राज्य सरकार में मंत्री नहीं बन सकता| अगर ऐसा होता है तो यह सीधे तौर पर अनुछेद संख्या 101(2 ) का उल्लंघन है, इसलिए आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री और केशव मौर्या की उप मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्ति असावनधानिक है क्योकि दोनों अभी भी सांसद बने हुए है|
याचिकाकर्ता ने दोनों की लोकसभा सीटों को खाली करने की भी मांग की है|
शर्मा ने धारा 3(ए) -अयोग्यता अधिनियम की रोकथाम(प्रिवेंशन ऑफ़ डिसक्वॉलिफिकेशन एक्ट) की सवैधानिकता को भी चुनौती दी है।
क्योंकि केंद्रीय अधिनियम की संवैधानिकता की जांच अटॉर्नी जनरल की सुनवाई के बिना नहीं की जा सकती, इसलिए न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया है|
आदित्यनाथ और मौर्या ने 19 मार्च को शपथ ली थी| दोनों ही संभावित तौर पर अपनी संसदियें सीट जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में मतदान के बाद छोड़ देंगे |
नियमों के अनुसार दोनों को शपत ग्रहण के छह महीने के भीतर राज्य विधायिका के लिए चुना जाना जरूरी है|
वह सांसद की सीट से इस्तीफा देने के बाद ही राज्य चुनाव लड़ सकते है|