दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकारी स्कूलों की भूमि के मामले में माँगा दिल्ली वन विभाग से जवाब

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के वन विभाग से जल्द से जल्द ‘भाटी खानों’ के वनों के अन्तर्गत आने वाली ज़मीन की अधिसूचना को रद्द करने के अनुरोध पर जवाब माँगा। गौरतलब है की शिक्षा विभाग इस इलाके में एक सरकारी स्कूल के स्थायी ढांचे का निर्माण करना चाहता है|

न्यायधीश वी कामेष्वर राव ने दिल्ली सरकार से कहा की भाटी की खानों पर स्कूल का निर्माण बिना वन विभाग की सहमती के नहीं हो सकता क्योंकि यह असोला-भाटी वन्यजीव अभयारण्य के आसपास की वन भूमि के भीतर स्थित है।

अदालत को बताया गया कि शिक्षा विभाग ने इस मुद्दे पर वन विभाग के सचिव को पिछले साल १०  अक्टूबर को एक पत्र भेजा था, परंतु अब तक उसका कोई जवाब नहीं मिला है।

“अगर ऐसा है तो ‘वन और वन्य जीवन विभाग’ के सचिव को एक स्मरण पत्र भेजा जाये जिसमे उनसे १० अक्टूबर २०१६ को भेजे गए पत्र का जवाब माँगा जाये। यह बोलना पर्याप्त होगा की “वन और वन्य जीवन विभाग” के सचिव को अब तक इस संचार का जवाब दे देना चाहिए था, यह जानते हुए की यह मामला अब अदालत में चल रही कार्यवाही से संदर्भित है “।

यह उम्मीद है की शिक्षा विभाग के स्मरण पत्र के बाद २ हफ़्तों के अंदर “वन और वन्य जीवन विभाग” के सचिव उस पत्र का जवाब दे देंगे। उनके जवाब को एक हफ्ते के अंदर रिकॉर्ड में रख दिया जायेगा।

“अगर कोई जवाब नहीं दिया गया तो ‘वन और वन्य जीवन विभाग’ के सचिव को अगली पेशी में अदालत में पेश होना पड़ेगा,” अदालत ने कहा और अगली सुनवाई मार्च १५ की तय कर दी।

अदालत एक याचिका पर दलील सुन रही थी जिसमे कहा गया था की भाटी की खानों में जो वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय है उस पर केवल एक अस्थायी छत है और वहां बुनयादी ढांचे की कमी है।