नई दिल्ली। 15 एयरपोर्ट के निर्माण के लिए करीब 438.4 करोड़ रुपये एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा खर्च किए जाने के बाद भी दस सालों में इन एयरपोर्ट्स से एक भी कमर्शल उड़ान शुरू नहीं की जा सकी है।
इनमें से सबसे महंगा महाराष्ट्र के गोंडिया में प्रस्तावित एयरपोर्ट साबित हुआ है जिसके अकेले निर्माण पर ही 207.6 करोड़ रुपये खर्च हो गए। यह पूर्व विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल का गृहनगर है।
वहीं जैसलमेर और शिमला में प्रस्तावित हवाईअड्डों के निर्माण पर 44.5 करोड़ और 39.1 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन अभी भी यहां से रेग्युलर पैसेंजर फ्लाइट शुरू नहीं की जा सकी है। यह जानकारी मौजूदा केंद्रीय उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दी।
उन्होंने सवाल के लिखित जवाब में कहा, ‘विमानन कंपनियां देश में कहीं से भी उड़ान संचालित करने के लिए स्वतंत्र हैं। वह यात्रियों की संख्या और डिमांड के आधार पर ही उड़ानों की जगह निर्धारित करती हैं। इस मामले में सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।’
गौरतलब है कि इन 15 हवाई अड्डों में से तीन ‘सिविल एन्क्लेव’ के तौर पर बनाए हैं, यानी ये डिफेंस एयरफील्ड की सीमा के भीतर तैयार किए गए हैं। ये तीनों हवाई अड्डे देश की सीमा से लगे इलाकों पठानकोट, बीकानेर और जैसलमेर में हैं।
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