उत्तरप्रदेश की इंतिख़ाबी जंग

मुलक की सब से बड़ी और हस्सास समझी जाने वाली रियासत उत्तरप्रदेश में इंतिख़ाबी तैयारीयों का अमलन आग़ाज़ होचुका है । तक़रीबन हर सयासी जमात ने अपनी बिसात बिछानी शुरू करदी है और अब वहां नित नई चालें चली जा रही हैं। हर जमात चाहती है कि वो रियासत में अवाम की ज़्यादा से ज़्यादा तादाद को अपनी हमनवा बना सकें और उन के वोट हासिल करते हुए इक़तिदार पर क़बज़ा किया जाय ।

रियासत में मायावती की क़ियादत वाली बहुजन समाज पार्टी की हुकूमत है और दूसरी तमाम अप्पोज़ीशन जमातें इस हुकूमत का तख़्ता उल्टने की फ़िक्र में हैं तो मायावती को अपना इक़तिदार बचाने की फ़िक्र लाहक़ है । हर जमात अपने अपने तौर पर सयासी चालों का आग़ाज़ करचुकी है । कांग्रेस पार्टी ने अपने नौजवान लीडर राहुल गांधी की क़ियादत में इंतिख़ाबी मुहिम का आग़ाज़ करदिया है । कांग्रेस के जनरल सैक्रेटरी ने अपने दादा और मुलक के पहले वज़ीर-ए-आज़म पण्डित जवाहर लाल नहरू के हल्क़ा-ए-इंतख़ाब फोलपोर से इंतिख़ाबी मुहिम का आग़ाज़ किया और ये आग़ाज़ ही धमाका ख़ेज़ रहा ।

उन की पहली इंतिख़ाबी तक़रीर ही एक तनाज़ा का शिकार होगई है और अब दूसरी सयासी जमातें अपने एजंडे और इंतिख़ाबी मंशूर को पेश करने की बजाय राहुल की तक़रीर को ही इस्तिमाल करते हुए रियासत के अवाम का इस्तिहसाल करने और उन के जज़बात को मुश्तइल करने में जुट गई हैं। राहुल गांधी ने फोलपोर मैं इंतिख़ाबी मुहिम का अमला आग़ाज़ करते हुए रियासत के अवाम को तबदीली के हक़ में वोट देने का मश्वरा दियाथा । राहुल ने जज़बाती अंदाज़ इख़तियार करते हुए कहा था कि उत्तरप्रदेश के अवाम कब तक महाराष्ट्रा में भीक माँगेंगे ।

इन का ये जुमला रियासत के अवाम से हमदर्दी के इज़हार केलिए अदा किया गया था ताहम अब ये उल्टा राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी केलिए मुश्किलात का बाइस बन रहा है ।बी जे पी समाजवादी पार्टी और ख़ुद महाराष्ट्रा की जमातों शिवसेना और महाराष्ट्रा नवनिर्माण सेना ने भी तन्क़ीदें की हैं। इन जमातों का इल्ज़ाम है कि राहुल गांधी ने भीक मांगने की बात कहते हुए उत्तरप्रदेश के करोड़ों अवाम की तौहीन की है और उन्हें भिकारी क़रार दिया है । राहुल ने भले ही किसी भी तनाज़ुर में ये जुमला कहा है लेकिन अप्पोज़ीशन जमातों के हाथ उन के असर-ओ-रसूख़ को कम करने केलिए एक हथियारों ज़रूर हासिल होगया है ।

कांग्रेस की जानिब से मायावती हुकूमत को मुजस्समों की तंसीब और पार्कस की तामीर में हुकूमत क़रार देते हुए तन्क़ीद का निशाना बनाया जा रहा है और मायावती का जवाब ये है कि कांग्रेस पार्टी रियासत के साथ सौतेले पन का सुलूक कर रही है और मर्कज़ की जानिब से उसे मुनासिब फ़ंडज़ फ़राहम नहीं किए जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी जो रियासत में इक़तिदार की दावेदार भी है कांग्रेस और बी एस पी दोनों को तन्क़ीदों का निशाना बना रही है हालाँकि पार्टी का एक गोशा मुस्तक़बिल में कांग्रेस के साथ इंतिख़ाबी मुफ़ाहमत का इमकान भी मुस्तर्द नहीं करता ।

बी जे पी की जानिब से उत्तरप्रदेश जैसी बड़ी रियासत में अपने वोट बैंक को दुबारा मुस्तहकम करने केलिए एक बार फिर राम मंदिर का मसला उठाए जाने के अंदेशे भी पैदा होगए हैं। पार्टी का ये एहसास है कि हिंदूतवा मसाइल को उठाए बगै़र रियासत में पार्टी अपने खोए हुए वोट बैंक को दुबारा मुस्तहकम नहीं कर पाएगी । जहां तक मायावती हुकूमत का सवाल है ये हक़ीक़त है कि रियासत में हुक्मरानी के नाम पर ज़्यादा तर मुजस्समों की तंसीब और पार्कस का ही क़ियाम अमल में लाया जा रहा है और मायावती इन इक़दामात के ज़रीया अपने दलित वोट बैंक को मुस्तहकम करने में जुट गई हैं।

समाजवादी पार्टी एक बार फिर रियासत के मुस्लमान राय दहिंदों की ताईद हासिल करने की कोशिश कर रही है और बी जे पी हिंदूतवा वोट मुस्तहकम करना चाहती है । ऐसे में राहुल गांधी तबदीली का नारे लगाते हुए नौजवानों को राग़िब करना चाहते थे । तमाम जमातों की हिक्मत-ए-अमली का एक ही मक़सद है कि किसी तरह मायावती की बी एस पी को इक़तिदार से बेदखल करते हुए ख़ुद इक़तिदार हासिल किया जाय और मायावती किसी तरह सभी जमातों की कोशिशों को नाकाम बनाते हुए अपने इक़तिदार को बरक़रा ररखना चाहती हैं।

किस जमात की हिक्मत-ए-अमली कामयाब होती है और किन किन को नाकामी का मुंह देखना पड़ता है ये तो इंतिख़ाबी नताइज से ही पता चलेगा। उत्तरप्रदेश और वहां के अवाम के हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि रियासत में इक़तिदार की दावेदार तक़रीबन तमाम ही जमातों ने महिज़ जज़बाती मसाइल को उठाने और अवामी जज़बात से खिलवाड़ करने की हिक्मत-ए-अमली इख़तियार की है । किसी भी जमात ने तरक़्क़ीयाती एजंडा को तर्जीह देने की हिम्मत नहीं की है । ऐसा लगता है कि किसी भी जमात के पास उत्तरप्रदेश की ग़ुर्बत को दूर करने और वहां के अवाम के मियार-ए-ज़िंदगी को बुलंद करने की कोई हिक्मत-ए-अमली या कोई एजंडा नहीं है ।

हर जमात महिज़ जज़बाती सियासत करते हुए अवाम और उन के वोट का इस्तिहसाल करना चाहती है । हालाँकि इंतिख़ाबात केलिए अभी भी चंद माह का वक़्त बाक़ी है लेकिन सयासी जमातों की तोड़ जोड़ का और उन की मनफ़ी पालिसीयों का आग़ाज़ होचुका है । उत्तरप्रदेश के राय दहिंदों को अब अपने सयासी शऊर का मुज़ाहरा करना चाहीए । यू पी के राय दहनदे अगर अपने इस्तिहसाल को मुस्तक़बिल में ख़तम करना चाहते हैं तो उन्हें इश्तिआल अंगेज़ सियासत करने वालों की बजाय तरक़्क़ीयाती एजंडा और रियासत-ओ-रियास्ती अवाम की ग़ुर्बत को दूर करनेवाली जमातों और उम्मीदवारों को वोट देते हुए अपने सयासी शऊर का मुज़ाहरा करते हुए सयासी जमातों को सबक़ सिखाना चाहीए ।