उत्तरप्रदेश: वैसे तो उत्तरप्रदेश में आने वाले वक़्त के चुनावों को लेकर कई तरह के अंदाज़े लगाए जा रहे हैं लेकिन अंदाज़ों पर काम न करते हुए यूपी की अखिलेश यादव सरकार जमीनी करवाई पर ज़्यादा ध्यान देती है।
जमीनी कार्यवाई से कहीं गलत मतलब न निकल लें बाबू। यूपी में जमीनी कार्रवाई होती हो जरूर है लेकिन सिर्फ विरोधी दलों को कुर्सी से दूर रखने के लिए। ऐसा ही होता आ रहा है मीम के प्रमुख नेता असदुद्दीन ओवैसी के साथ जिन्होंने पिछले साल यूपी में बहुत से मौकों पर रैली निकलनी चाही लेकिन सपा सरकार ने हर बार उनकी मांग को ठुकरा दिया।
लेकिन मीम चीफ भी राजनीति के खेल के मंझे हुए खिलाड़ी साबित हुए और इस बार चुनावों से पहले उन्होंने यूपी का २ दिन का तूफानी दौरा करने की ठानी। सपा सरकार की नीयत को भांपते हुए ओवैसी ने इस बार कोई रैली न करने का फैसला लेते हुए सिर्फ अपनी पार्टी ऑफिसों में लोगों और पार्टी वर्करों से मिलने का प्लान बनाया है। ओवैसी के इस प्लान से उन्हें सपा सरकार की किसी अनुमति की जरुरत भी नहीं पड़ेगी और ओवैसी का चुनावी दौर भी पूरा हो जाएगा। लेकिन एक बात तो मानने वाली है की यूपी की पार्टियां ओवैसी से ऐसे डरी हुई हैं जैसे ओवैसी उनकी पार्टियों को तबाह करने ही यूपी आ रहे हों।