प्रतापगढ़। पुरे उत्तर प्रदेश में 108 एम्बुलेंस सेवा (समाजवादी स्वास्थ्य सेवा ) बड़ी जोर शोर से 14 सितंबर 2012 को शुरू हुई थी। वहीं 102 एम्बुलेंस सेवा (नेशनल एम्बुलेंस सर्विस) की शुरुआत 17 जनवरी 2014 को हुई थी। समाजवादी सरकार ने बड़े-बड़े दावे भी किये, दावा है कि इस सेवा की एम्बुलेंस चंद मिनट में हाजिर हो जाती है।
लेकिन यूपी के स्वास्थ्य मंत्री शिवकांत ओझा के गृह जनपद प्रतापगढ़ में मानवता को शर्मशार करने वाली घटना सामने आई है.
मामला कंधई कोतवाली के आसलपुर गांव के रहने वाला बबलू के पिता की मौत का है. शुक्रवार को जब बबलू के पिता अफज़ल की तबीयत अचानक बिगड़ी तो परिजनों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ड्रीम योजना 108 सेवा पर कॉल कर एम्बुलेंस बुलाई.
लेकिन घंटों बाद भी जब एम्बुलेंस नहीं पहुंची तो युवक अपने पिता को गोद में उठाकर हॉस्पिटल की तरफ दौड़ा पहले डॉक्टर हीला-हवाली करते रहे ,बड़ी मिन्नत करने पर करीब एक घण्टे बाद किसी तरह जब डॉक्टर ने देखा तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
डॉक्टरों ने महज एक इंजेक्शन देकर अफजल को वापस घर भेज दिया लेकिन अस्पताल से कुछ ही दूरी पर फिर हालत बिगड़ गई तो बबलू वापस फिर पिता को गोद में उठाये अस्पताल पहुंचा। जब डॉक्टरों ने देखा कि अफजल की सांसें थम गई हैं तो बेटे को बताने के बजाय जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
इस दौरान अफज़ल को कोई एम्बुलेंस की भी व्यवस्था नहीं मिली 108 से जवाब मिला की एक घण्टे इंतजार करो या फिर अपने साधन से ले जाओ। थक हार कर टेम्पो से जिला अस्पताल ले जाया गया जहा डॉक्टरों उसे मृत घोषित कर दिया। गौरतलब है की यह स्वास्थ्य मंत्री शिवकांत ओझा का गृह जनपद भी है बावजूद इसके डॉक्टर और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी किस कदर लापरवाह बने हुए है।