मुंबई, 05 दिसंबर: (पीटीआई) जैसा कि क़ियास आराईयां की जा रही थीं कि बाल ठाकरे की मौत के बाद उनके बेटे उद्धव ठाकरे शिवसेना प्रमुख बन जाऐंगे लेकिन इसके बरख़िलाफ़ पार्टी के एग्ज़ीक्यूटिव सदर उद्धव ठाकरे को शिवसेना के तर्जुमान अख़बार सामना का एडीटर मुक़र्रर किया गया है।
दरीं असना शिवसेना के सीनीयर क़ाइद सुभाष देसाई ने पी टी आई को बताया कि प्रभु धन प्रकाशन के तमाम पब्लीकेशन के लिए उद्धव ठाकरे को अडीटर बनाया गया है। याद रहे कि मिस्टर देसाई प्रभु धनकर प्रकाशन के पब्लिशर हैं, जिनके ज़रीया सामना (मराठी) और दोपहर का सामना (हिन्दी) की इशाअत नवी मुंबई से अमल में आई है।
उद्धव ठाकरे को शिवसेना से मरबूत तमाम इख़्तेयारात सौंप दिए गए थे और सामना-ओ-दोपहर का सामना के आडीटर मुक़र्रर किए गए हैं। क़ब्लअज़ीं दोनों अख़बारात के मुदीर बाल ठाकरे थे। अब उन्हें बानी ओ अडीटर की हैसियत से याद किया जाएगा।
कल की इशाअत तक भी एडीटर के तौर पर बाल ठाकरे का नाम ही शाय किया गया था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। उद्धव ठाकरे का नाम बाल ठाकरे की तरह सफ़ाह-ए-अव्वल के टाइटल के नीचे शाय नहीं होगा बल्कि अख़बार के आख़िरी सफ़ा पर जहां अख़बार से मुताल्लिक़ तमाम मालूमात वाली एक सतर मौजूद होती है।
उद्धव ठाकरे का नाम इस स्तर में शाय किया जाएगा। यहां इस बात का तज़किरा दिलचस्पी से ख़ाली ना होगा कि सामना की सबसे पहली इशाअत 23 जनवरी 1988 में हुई थी जहां मराठी मानूस के लिए ठाकरे के ख़्यालात को एक प्लेटफार्म मिल गया था। दोपहर का सामना दरअसल शाम का Tabloid अख़बार है जिसकी सबसे पहली इशाअत 23 फ़रवरी 1993 में अमल में आई थी ताकि हिन्दी अख़बार के ज़रीया मुंबई में बसे शुमाली हिंद के बाशिंदों की जरूरतों की भी तकमील की जा सके।