उपचुनाव में हार से क्यों घबरा गयी है बीजेपी?

ऐसी अपेक्षा थी कि उत्तर प्रदेश में कैराना एवं गोंडिया-भंडारा एवं महाराष्ट्र में पालगढ़ हलकों के लोकसभा उपचुनाव कर्नाटक विधानसभा चुनावों के साथ ही घोषित किए जाएंगे। महाराष्ट्र में लोकसभा सीटें 3 माह पूर्व ही खाली हो गई थीं तथा कैराना सीट सिटिंग भाजपा सांसद हुकम सिंह के देहांत के पश्चात फरवरी में खाली हो गई थी।

जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव सुरक्षा कारणों से नहीं कराए जा रहे हैं तथा नागालैंड उपचुनाव मुख्यमंत्री के सीट छोडऩे की प्रतीक्षा में हैं, जो उन्होंने अभी तक नहीं छोड़ी है।

महाराष्ट्र व कैराना में उप चुनाव न कराए जाने के चुनाव आयोग के निर्णय ने विपक्ष को अचम्भे में डाल दिया है तथा कुछेक नेता चुनाव आयोग पर सत्तासीन भाजपा के हाथों में खेलने का आरोप भी लगा रहे हैं।

भाजपा के सूत्रों का कहना है कि तकनीकी रूप से कैराना उपचुनाव में अभी 4 माह पड़े हैं। जबकि महाराष्ट्र में 2 लोकसभा सीटों के उपचुनाव केवल जून-जुलाई में नियत होंगे।

आंतरिक सूत्रों का कहना है कि भाजपा उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र में इन चुनावों में अपनी परीक्षा नहीं देना चाहती क्योंकि वह शुरूआत हार से नहीं करना चाहती।

इनकी देरी में ही उसकी बेहतरी है अथवा एक कारण यह भी है कि ये उपचुनाव दिसम्बर में राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ कराए जाएंगे।