सुप्रीम कोर्ट ने आज 1997 में रुनुमा हुए उपहार सिनेमा आतिशज़दगी वाक़िया पर आई पी एस ऑफीसर अमूद कांत पर ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई को ज़ेर-ए-इलतिवा रखा।
जस्टिस के एस राधा कृष्णन और ए के सीकरी पर मुश्तमिल एक बेंच ने सी बी आई को भी हिदायत की है कि कांत की जानिब से दाख़िल करदा दर्ख़ास्त का जवाब दिया जाये। कांत ने 2010 में ट्रायल कोर्ट के एक हुक्मनामा को चैलेंज किया था जहां उन्हें इस बात की वज़ाहत करने अदालत में तलब किया गया था कि उन्होंने उपहार सिनेमा में ज़ाइद नशिस्तों की फ़राहमी की इजाज़त दी थी जहां 1997 में आग के हादिसा में 59 फ़िल्म बैन जल कर हलाक होगए थे।
कांत की नुमाइंदगी करने वाले ऐडवोकेटस अमरेन्द्र शरण और सोमेश झा ने कहा कि हाइकोर्ट इस दर्ख़ास्त पर मुतमइन नहीं है जहां ये कहा गया था कि सी बी आई ने कांत के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में नाकामी का सामना किया। याद रहे कि उपहार सिनेमा के महलूकीन के अरकान ख़ानदान की जानिब से दाख़िल करदा एक दर्ख़ास्त पर ट्रायल जज ने कांत को 12 अगस्त 2010 में अदालत में तलब किया था।
हाइकोर्ट का कहना ये है कि कांत के ख़िलाफ़ सिर्फ़ ज़ाइद नशिस्तों की फ़राहमी की इजाज़त देने पर क़ानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। 1997 में उपहार सनीमा में आतिशज़दगी के वाक़िया ने सारे मुल्क की तवज्जो अपनी जानिब करली थी उस वक़्त वहां जे पी दत्ता की सनी देवल स्टार वाली फ़िल्म बॉर्डर दिखाया जा रही थी।