उप्पल की मस्जिद मुहम्मदिया को बंद करने मुक़ामी गैर मुस्लिम की कोशिश

उप्पल की गैर आबाद मस्जिद मुहम्मदिया को आबाद करना फ़िर्क़ा परस्तों को अच्छा नहीं लगा और ये मस्जिद उन की नज़रों में कठक रही है जब कि एसा लगता है कि पुलिस भी पूरी तरह उन अनासिर के चंगुल में फंस गई है और मुक़ामी कांग्रेसी रुकन( अरकान (सदस्य)) असेंबली राजी रेड्डी मस्जिद को आबाद करने में किसी भी रुकावट को दूर करने का वाअदा करने के बावजूद खीसयानी बिल्ली की तरह मंज़र से ग़ायब होगए हैं ।

अब तो हद ये होगई है कि मुक़ामी पुलिस कमिशनर साइबर आबाद की हिदायात को एक जमेदार-ओ-कांस्टेबल की तरह ख़ातिर में ना लाते हुए मुस्लमानों को मस्जिद में दाख़िल होने से रोकने के इक़दामात कर रही है ।

मस्जिद कमेटी के सदर हाफ़िज़ मुहम्मद उम्र शफ़ी के मुताबिक़ इस इलाक़ा का ताक़तवर दौलतमंद और बाअसर शख़्स लक्ष्मी नारायना जहां मस्जिद के चारों तरफ़ से रास्ता बंद कर रहा है वहीं पुलिस मस्जिद को लाख रुकावटों के बावजूद आने वाले मुस्लियों की तस्वीरकशी करते हुए उन के नाम दरयाफ़त कर रही है एक रजिस्टर में बाज़ाबता उन के पतों का इंदिराज किया जा रहा है ।

एक तरह से मुस्लियों को ख़ौफ़ में मुबतला करने और हरासाँ करने की कोशिश की जा रही है । हाफ़िज़ मुहम्मद उमर शफ़ी ने मज़ीद बताया कि इंतिज़ामी कमेटी के अरकान-ओ-ओहदेदारों ने कल कमिशनर पुलिस साइबर आबाद से मुलाक़ात करते हुए नुमाइंदगी की थी और बताया था कि मुस्लमानों को मुक़ामी पुलिस किस तरह हरासाँ कर रही है ।

जिस पर कमिशनर पुलिस साइबर आबाद ने वाज़ेह भरोसा दिया था कि वो मुक़ामी पुलिस को इस बात का पाबंद करेंगे कि मुस्लियों को हरासाँ ना किया जाय लेकिन जिस तरह एक कम दर्जा के ओहदेदार की बात को अहमियत नहीं दी जाती इस तरह एक दर्जा चहारुम के ओहदेदार की तरह कमिशनर साइबर आबाद की हिदायात को मुक़ामी पुलिस नज़र अंदाज कर रही है ।

लक्ष्मी नारायना इलाक़ा का बाअसर और दौलतमंद तरीन शख़्स बताया जाता है । लक्ष्मी नारायना और पुलिस के इक़दामात से अवाम में उलझन पाई जाती है । मस्जिद के अतराफ़ दीवारें उठाने का काम तेज़ी से जारी है तक़रीबन 20 । 25 मज़दूर काम कर रहे हैं । और जे पी सी मिशन का भी इस्तिमाल किया जा रहा है ।

पुलिस को चाहीए कि अपना फ़र्ज़ पूरा करते हुए फ़ौरी इस तामीर को रकवाए और मुस्लियों को मस्जिद में दाख़िल होने की इजाज़त दे वैसे भी मस्जिद में दाख़िल होने के लिये मुस्लियों को पुलिस की इजाज़त की ज़रूरत भी नहीं है ।

अगर मुस्लमान अपनी मस्जिदों में पुलिस की इजाज़त लेकर जाते रहें तो ये हिंदूस्तान नहीं बर्मा बन जाएगा । कमिशनर साइबर आबाद तिरुमल राव के लिये ये ज़रूरी है कि वो फ़ौरी हरकत में आएं और अपने मातहत ओहदेदारों-ओ-मुक़ामी पुलिस को सख़्ती से हिदायत दें कि मुस्लियों को मस्जिद में दाख़िल होने से रोकने से गुरेज़ करें ।

वक़्फ़ बोर्ड को भी चाहीए कि वो फ़ौरी हरकत में आते हुए मस्जिद के तहफ़्फ़ुज़ को यक़ीनी बनाएं । क़ारईन हम जो तस्वीर शाय कर रहे हैं ये 27 जुलाई जुमा को ली गई तस्वीर है जिस में आप मुस्लियों की कसीर तादाद को देख सकते हैं ।।