सिंगापुर, 24 जनवरी (पी टी आई) वज़ीर फ़ीनानस पी चिदम़्बरम जिन्होंने गुज़िश्ता दो दिनों में बैरूनी सरमायाकारों के साथ अपनी मीटिंग्स के दौरान मुस्तहकम टैक्स सिस्टम के ताल्लुक़ से बात की है, उन्होंने कहा है कि ज़्यादा अमीर लोगों पर कुछ ज़्यादा टैक्स आइद करने की बेहस पर तवज्जु देना चाहीए।
में मुस्तहकम टैक्स शरहों पर यक़ीन रखता हूँ। ताहम मुझे लाज़िमन क़बूल करना चाहीए कि एसी दलील है, लफ़्ज़ दलील पर ज़ोर दिया जाये, कि जब मईशत को ज़रूरत होती है, जब हुकूमत को मज़ीद वसाइल की ज़रूरत होती है तो ज़्यादा अमीर लोगों को रज़ा-ओ-रग़बत से कुछ ज़्यादा अदायगी करना चाहीए।
इसका ये मतलब नहीं कि टैक्स शरह मुस्तहकम नहीं होनी चाहीए। मेरे ख़्याल में हमें टैक्स शरहों में इस्तिहकाम रखना चाहीए लेकिन हमें बाअज़ मौक़ों पर कुछ ज़्यादा अदा करना चाहीए, चिदम़्बरम ने सी एन बी सी टी वी 18 को ये बात बताई। ताहम उन्होंने फ़ौरी ये भी कहा, लेकिन ये मेरी राय का इज़हार नहीं है।
ये बस एक दलील-ओ-बेहस है जो मैंने सुनी और में इआदा कर रहा हूँ। चिदम़्बरम ने कहा कि टैक्स शरहें जिनका 1997-ए-में ऐलान किया गया (बजट में जिसे तब उन्होंने पेश किया था) बदस्तूर वही हैं और चार हुकूमतों और चार वुज़राए फ़ीनानस से गुज़र चुकी हैं। आइन्दा माह पेश किए जाने वाले बजट के बारे में उन्होंने कहा कि ये बजट इलैक्शन को ज़हन में रखते हुए तर्तीब नहीं दिया गया है।
इलैक्शन क़व्वास बजट से 14 माह का ख़ासा वक़फ़ा है। ये बजट ज़िम्मेदाराना बजट रहेगा। वज़ीर फ़ीनानस ने कहा कि अगर 28 फ़बररी को वो बता सकें कि हुकूमत ने मालीयाती ख़सारा को 5.3 फ़ीसद से कम रखा है और अगर बजट तख़मीनों से ज़ाहिर हो कि आइन्दा साल का माली ख़सारा 4.8 फ़ीसद से नीचे रहेगा, तब वो अगले साल वसोलयात में हौसला अफ़्ज़ा-ए-तरक़्क़ी ज़ाहिर करसकते हैं।
कई माहिरीन बिशमोल वज़ीर-ए-आज़म की मआशी मुशावरती कौंसल के सदर नशीन सी रंगा राजन ने उमरा-ए-पर ज़्यादा ऊंची टैक्स शरहें लागू करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है। कल, विप्रो चेयरमैन अज़ीम प्रेम जी ने कहा था कि ज़्यादा अमीर लोगों पर टैक्स आइद करने की तजवीज़ सियासी तौर पर दरुस्त इक़दाम है, लेकिन शुबहात ज़ाहिर किए कि आया हुकूमत वाक़ई ऐसी तजवीज़ पर अमल आवरी करेगी। हिंदूस्तान आमदनी पर तीन शरहों में टैक्स आइद करता है; 10 फ़ीसद, 20 फ़ीसद और 30 फ़ीसद। ये शरहें 1997 में मुक़र्रर की गई थीं।