मरकज़ी वज़ीर गुलाम नबी आजाद, जम्मू कश्मीर की इंचार्ज अंबिका सोनी और रियासत के कांग्रेस सदर सैफुद्दीन सोज की तमाम कोशिशों को नाकाम करते हुए वज़ीर ए आला उमर अब्दुल्ला अपने ओहदे से इस्तीफा देने पर अड़े हुए हैं |
अगर पांच साल तक हुकूमत चलाने वाले उमर इस्तीफा देते हैं तो वह आम इंतेखाबात के साथ असेम्बली इंतेखाबात करवाने की भी सिफारिश करवा सकते हैं उनके इस्तीफे की वजह से रियासत में गवर्नर का राज लागू हो जाएगा |
ज़राये के मुताबिक, वज़ीर ए आला अब्दुल्ला मई और अक्तूबर-नवंबर मे होने वाले मुसलसल आम और असेम्बली इंतेखाबात से पहले रियासत में 700 नई इंतेज़ामी युनिटों की तश्कील करना चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस ऐसा करने नहीं दे रही |
एनसी ज़राये ने बताया कि नाराज वज़ीर ए आला अपने ओहदे से इस्तीफा देने का मन बना रहे हैं क्योकि कांग्रेस को लगता है कि यूनिट्स की तश्कील से एनसी को आइंदा इंतेखाबात में फायदा मिल सकता है, इसलिए वह उनके मंसूबे को रोकना चाहती है |
इसके नतीजे में जम्मू कश्मीर में रूलिंग पार्टी कांग्रेस-नेशनल कॉंफ्रेंस (एनसी) इत्तेहाद टूटने के कगार पर है और वज़ीर ए आला उमर अब्दुल्ला अपने ओहदे से इस्तीफा दे सकते हैं कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों में दूरियां बढ़ती जा रही हैं, जिसकी वजह से इत्तेहाद मे दरार आ गई है | जम्मू कश्मीर की इंचार्ज अंबिका सोनी, मरकज़ी वज़ीर गुलाम नबी आजाद और रियासत के कांग्रेस सदर सैफुद्दीन सोज की मुलाकात के बाद भी दोनों पार्टियों में इख्तेलाफ दूर नहीं हो पायी है |