उमर रसीदा ख़ातून को पेंटिंगज़ की नुमाइश से नया हौसला

नई दिल्ली, २३ दिसम्बर: (पी टी आई) 78 साला उमा लोहटिया का कहना है कि उन्हें मुसव्विरी का बचपन से शौक़ था लेकिन मुसव्विरी के नादिर नमूने तैयार करने का कभी मौक़ा नहीं मिला और आज ये हाल है कि उन्हों ने अपनी ज़िंदगी में ताख़ीर से ही सही, बरशश और रंगों के हसीन इमतिज़ाज के साथ ऐसी ऐसी नादिर पेंटिंग्स् तैय्यार की हैं जो हर एक को पसंद आ रही हैं।

यही नहीं बल्कि उन की पेंटिंगज़ की नुमाइश भी होने वाली है। उमा लोहटिया दिल्ली की क़दीम तारीख़ से बेहद दिलचस्पी रखती हैं। इन का कहना है कि दिल्ली शहर हिंदूस्तान का असासा है और दिल्ली की तारीख़ी इमारतें हमारी अज़मत रफ़्ता की शनाख़्त हैं। शहर नई दिल्ली की सद साला तक़रीबात के मौक़ा पर उमा लोहटिया की पेंटिंगज़ दरअसल दिल्ली शहर के तईं इन का ख़िराज-ए-अक़ीदत है।

गुज़श्ता शब पेंटिंगज़ की नुमाइश का इफ़्तिताह अमल में आया था और ये नुमाइश 24 दिसम्बर तक जारी रहेगी। इन का कहना है कि बचपन तो आख़िर बचपन ही होता है और इस दौर में हर कोई लाउबाली होता है। ज़िम्मेदारीयों से आरी बचपन। लेकिन जब दिल्ली में उन्हों ने एक आर्ट स्कूल में शाम की क्लासेस में शिरकत करना शुरू किया तो पेंटिंग्स की जानिब इन का झुकाव् बढ़ता ही चला गया।