श्रीनगर
फ़ौज ने आज कहा कि इस के पास इस बात का ठोस सबूत मौजूद है कि 6 दहशतगरदों ने जिन्होंने उरी में फ़ौजी कैंम्प पर हमला किया था, लश्करे तैबा से ताल्लुक़ रखते थे और उन्हें पाकिस्तानी इंतेज़ामीया की ताईद हासिल थी। वो ख़ुसूसी कार्यवाईयों के लिए इंतेहाई तरबियत याफ़ता थे।
बयान में कहा गया है कि महलूक अस्करीयत पसंद एसा मालूम होता है कि शहरियों को निशाना बनाने की तलाश में थे ताकि जम्मू कश्मीर में मंगल को तीसरे मरहले की राय दही को मुतास्सिर करसकें। फ़ौज की 15 कौर के जनरल ऑफीसर कमांडिंग लेफ्टेनेंट जनरल सुब्रता सहा ने कहा कि जी पी एस महलूक अस्करीयत पसंदों के पास से दस्तियाब हुई है जिस से ज़ाहिर होता है कि वो ख़त क़बज़ा की दूसरी सिम्त से दरयाए जहलुम के शुमाली इलाक़े से हिन्दुस्तान में दरअंदाज़ी के ज़रिए दाख़िल हुए थे।
एक दर अंदाज़ टूटमारी गली (नौगाम) और एक उरी सेक्टर में दाख़िल हुआ था। उन्होंने कहा कि वो चंद वजूहात की बिना पर दुरुस्त मुक़ाम की निशानदेही नहीं कररहे हैं। वो एक प्रेस कान्फ़्रेंस से ख़िताब कररहे थे। उन्होंने कहा कि नौगाम सेक्टर में जो वाक़ियात पेश आएं, जिन में 6 अस्करीयत पसंद और एक जैसी ओ हलाक हुए और उरी सेक्टर में जुमा के दिन जो वाक़िया पेश आया, वो मामूल की दरअंदाज़ी की कोशिशें नहीं थीं।