कोलकता, 27 मार्च: उर्दू और बंगला हिन्दुस्तान की सब से मीठी ज़बानें हैं। मेरा उर्दू ज़बान और टैगोर से इशक़ का रिश्ता है। जामिआ ने टैगोर शनासी में उरूज हासिल किया है। जामिआ में ये काम बेहद सलीक़े और मेहनत से अंजाम पारहा है जिस से में बेहद मुतमइन और ख़ुश हूँ। इन ख़्यालात का इज़हार जनाब जौहर सरकार (आई ए एस) सी ई ओ प्रसार भारती नई दिल्ली ने आज जामिआ मल्लिया इस्लामिया और मुस्लिम इंस्टीटियूट के इश्तिराक से मुनाक़िदा पाँच रोज़ा टैगोर वर्कशॉप 12 ता 16 मार्च के मौक़े पर मुस्लिम इंस्टीटियूट कोलकता में किया।
उन्होंने कहा कि ज़बान, शख़्स और फ़िक्र को क़ैद नहीं किया जा सकता है। टैगोर इब्तिदा ही से ज़हनी तौर पर आज़ाद थे। उन्होंने नज़रियाती बुलंदी अता की। टैगोर के अफ़्क़ार-ओ-ख़्यालात बेशक़ीमत हैं। इस जलसे की सदारत करते हुए मुमताज़ शायर-ओ-अदीब जनाब क़ैसर शमीम ने कहा कि टैगोर हाफ़िज़-ओ-रूमी के आशिक़ थे। टैगोर के अफ़्क़ार, उन के फ़न और अदब से वाक़िफ़ होना उर्दू वालों के लाज़मी है।
जामिआ के ज़ेरे एहतिमाम मुस्लिम इंस्टीटियूट कोलकता में मुनाक़िदा ये वर्कशॉप तारीख़ी हैसियत का हामिल है जो इस क़दर मुनज़्ज़म ढंग से अंजाम पारहा है, जिस में बंगला और उर्दू ज़बान के मुमताज़ स्कालर्ज़ और मित्र जमीन हिस्सा ले रहे हैं। जामिआ के ज़रिये कलकत्ता में वर्कशॉप का किया जाना कुशादा ज़हनी, ज़ौक़-ओ-शौक़ और फ़िक्र की गहराई का नतीजा है। ये बेहद ज़रूरी है कि तर्जुमा बराह-ए-रास्त हो।
मित्र जमीन के लिए मतन की फ़िज़ा-ए-,तहज़ीब-ओ-मुआशरत से भी वाक़फियत ज़रूरी है। बंगाल के उदबा-ओ-शारा-ए-टैगोर के मतन में डूबे हुए हैं। इस लिए कलकत्ता का ये वर्कशॉप निहायत कामयाबी से गामज़न है। ज़रूरत इस बात की हैकि कलकत्ता में भी इस पराजेक्ट के तहत टैगोर पर समीनार और सक़ाफ़्ती प्रोग्राम का इनइक़ाद किया जाये। इस मौक़े पर माहिर टीगोरयात प्रोफेऎसर स्वप्न कुमार चक्रवर्ती, डायरेक्टर जनरल, नेशनल लाइब्रेरी कोलकता ने टैगोर की अदबी हैसियत और अज़मत पर रोशनी डालते हुए कहा कि टैगोर ना सिर्फ़ बंगाल के बल्कि आलमगीर शौहरत के हामिल शायर-ओ-अदीब हैं।
इस लिए इस पराजेक्ट के तहत टैगोर के शहर कलकत्ता में टैगोर का तर्जुमा करना उर्दू वालों की ख़ुशनसीबी है। इस जलसे में प्रोफेसर ख़ालिद महमूद साबिक़ सदर शोबा उर्दू जामिआ मिल्लिया इस्लामिया ने टैगोर की आला इलमी और तख़लीक़ी ख़िदमात पर रोशनी डाली और पराजेक्ट की ग़रज़-ओ-ग़ायत से हाज़िरीन को रोशनास कराया। प्रोफेसर शहज़ाद अंजुम ने सभी मेहमानों का इस्तिक़बाल करते हुए कहा कि जामिआ इस्लामिया नई दिल्ली और मुस्लिम इंस्टीटियूट कोलकता के इश्तिराक से मुनाक़िदा ये वर्कशॉप तारीख़ी हैसियत का हामिल है।