उर्दू किसी धर्म की भाषा नहीं देश की भाषा है: प्रकाश जावड़ेकर

नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उर्दू को बढ़ावा देने और इसकी सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि उर्दू किसी विशेष धर्म या क्षेत्र की नहीं बल्कि सभी की भाषा है। उर्दू भाषा के विकास के लिए राष्ट्रीय उर्दू कौंसिल (NCPUL) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वैश्विक उर्दू सम्मेलन के अंतिम दिन दर्शकों को संबोधित करते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा कि सभी मात्री और क्षेत्रीय भाषाओं की अपनी अलग पहचान, अलग महत्व और उपयोगिता है, इसलिए केंद्र की मोदी सरकार सभी भाषाओं के विकास और तरक्की के लिए प्रतिबद्ध है।

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उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न मात्री और क्षेत्रीय भाषा, विभिन्न धर्म, अलग रहन-सहन के बावजूद अनेकता में एकता को सही साबित करते हुए पूरे देश का एकजुट होना ही भारत की पहचान है, जिस पर देश को गर्व है। यही कारण है कि भारत सरकार सभी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करती है, ताकि इस की पहचान को जिन्दा और गंगा-जमुनी तहजीब को बनाए रखा जा सके।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्री जावड़ेकर ने उर्दू को बढ़ावा देने के लिए उर्दू कौंसिल की प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उर्दू को बढ़ावा देने के लिए कौंसिल को अपने कामकाज में और विस्तार करना चाहिए और बच्चों को उर्दू पढ़ने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सच्चर समिति की सिफारिशों के बाद शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों की स्थिति में पर्याप्त सुधार हुआ है और लोग शिक्षा के मामले में अब काफी जागरूक हो चुके हैं। मुसलमानों के शैक्षिक विकास के लिए मोदी सरकार भी पर्याप्त कदम उठा रही है।

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने सरकारी स्कूलों का स्तर इतना बेहतर करने का संकल्प लिया है कि लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने को प्राथमिकता देने लगें।