उर्दू की पहली शायरा माहल़क़ा बाई चंदा पर ड्रामा

हैदराबाद, 2 मार्च- हिन्दुस्तान की पहली उर्दू शायरा माहल़क़ा बाई चंदा पर एक मोनोलॉग ड्रामे की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। फ्रेंड्स ऑफ गोलकोंडा की ताऱीखी अहमियत के बारे में नई नस्ल को बाशऊर करने के लिए ये ड्रामा पेश किया जा रहा है। ड्रामानिगार अवधीश रानी हैं। हिदायतकार विनय वर्मा होंगे।

श्रीमती अवधीश रानी ने बताया कि हरबर्ट बट ने 1994 में `फ्रेंड्स ऑफ गोलकोंडा’ तंज़ीम का कायम किया था। हरबर्ट गोलकोंडा की तामीरी ख़ूबी से काफी मुतासिर थे, साथ ही वो चाहते थे कि इसके बारे में आसपास के लोग जानें। उन्होंने गोलकोंडा की लडकियों को फुनून और तहज़ीबी सरगर्मियों में हिस्सा लेने के लिए हौसला अफ़ज़ाई की और इसी मक़सद के साथ माहल़क़ा बाई चंदा की जिन्दगी पर ड्रामे की तजवीज़ पेश की गयी। 18 वीं सदी हैदराबाद के शाही दरबार और दरबार से जुड़े नवाबों में हलचल मचाने वाली चंदा बीबी उर्फ माहल़क़ा चंदा बाई ने शायरी, जंग, दरबारी महफ़िलें सभी में हिस्सा लिया और ऐसा करने वाली वह पहली हिन्दुस्तानी ख़ातून समझी जाती हैं। नवाब अरस्तु जाह, राजा रंभा और राजा चंदुलाल की देवढ़ियों में उनकी सीधे रसाई थी। उनकी लिखी 125 ग़ज़लों का दीवान प्रो. ज़ीनत साजिदा ने शाये करवाया है। साथ ही समीना श़ौकत, राहत आज़मी, और डॉ. स्कॉट की तह़क़ीक़ से पता चलता है कि मूस़ीक़ी और मुसव्विरी में भी महारत रखती थीं। पूणे में हुए एक मुजरे में उन्होंने अपनी ग़ज़ल सुनाई तो उस वक्त के बड़े शायरों में उनकी खूब पज़ीराई हुई। हैदराबाद में गंगा-जमुनी तहज़ीब को बढ़ावा देने में भी उनका अहम रोल रहा। इन सभी ख़ूबियों को इस ड्रामे में पेश करने की कोशिश की जाएगी।

सुत्रधार के डायरेक्टर विनय वर्मा बताते हैं कि इस ड्रामे के लिए रतिका संत केसवाणी को ड्रामे के मर्कज़ी किरदार के लिए चुना गया है। माहल़क़ा की ग़ज़लों को उस्ताद विट्ठलाव मूस़िकी देंगे। उम्मीद कि गोलकोंडा क़िला, माहल़का बाई चंदा का मौला अली के म़कबरे और कुछ और म़कामात पर ड्रामा पेश किया जाएगा।