उर्दू के नाम पर मुख्तार अब्बास नक़वी का धोखा

नई दिल्ली : उर्दू ज़बान को हमेशा से मुसलमानों के साथ जोड़कर मुसलमानों को बेवक़ूफ़ बनाने काम किया गया है. इसकी ताज़ा मिसाल यह कहानी है. उर्दू अदब की गिरी हालत को सुधारने के बजाए मोदी सरकार भी सिर्फ़ झूठ व फ़रेब का सहारा लेकर अपने नंबर बढ़ाने और मीडिया में अपनी छवि चमकाने की कोशिश पर टिकी हुई है, मगर जो हक़ीक़त है वो बेहद ही तल्ख़ और दुखद है.

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बताते चलें कि बीते 20 दिसम्बर को अल्पनसंख्यीक मामलों के राज्यमंत्री (स्वरतंत्र प्रभार) मुख्ताार अब्बाहस नक़वी ने हज मामलों से संबंधित एक त्रि-भाषायी वेबसाइट www.haj.gov.in की शुरुआत की. इस वेबसाइट के लांचिंग कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि यह वेबसाइट उर्दू, हिन्दी और अंग्रेज़ी तीनों भाषाओं में है. साथ ही इस संबंध में नक़वी ने ट्वीट भी किया.
लेकिन कड़वी सचाई यह है कि ये वेबसाइट सिर्फ़ अंग्रेज़ी में है, लेकिन हां, वेबसाइट के हेडर में तीनों भाषा में ‘हज विभाग, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय’ ज़रूर लिखा हुआ है और आप सिर्फ़ हिन्दी व अंग्रेज़ी पर क्लिक करके अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की वेबसाइट पर पहुंच सकते हैं, उर्दू में ये सुविधा उपलब्ध नहीं है और न ही अभी तक उर्दू में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय या हज विभाग की कोई वेबसाइट है.हज विभाग की ये वेबसाइट डिजिटल इंडिया अभियान के तहत शुरू की गयी है, लेकिन इस वेबसाइट पर कहीं भी हज के लिए जाने वाले ख्वाहिशमंदों के लिए ऑनलाईन आवेदन करने का विकल्प नहीं है. हालांकि ऑनलाइन आवेदन के लिए 2 जनवरी को मुख्तार अब्बास नक़वी ने मुंबई के हज हाउस में भारतीय हज कमेटी मोबाइल ऐप का शुभारंभ ज़रूर किया है, जहां आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करने के बाद फॉर्म की पीडीएफ प्रति आवेदक के ई-मेल पर भेजी जाएगी. आप फोटो लगाने के बाद दस्ता वेज़ों के साथ प्रिंटआउट राज्या हज कमेटियों को भेज सकते हैं. आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 24 जनवरी है.
यहां यह भी बताते चलें कि ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा विदेश मंत्रालय ने पहले से ही दे रखी थी. 2016 में भी 45,843 लोगों ने हज ऑनलाइन पर आवेदन किया था, जो पूरे देश में हज के लिए प्राप्तल होने वाले कुल आवेदनों का लगभग 11 प्रतिशत था.
स्पष्ट रहे कि हज 2017 की घोषणा की जा चुकी है. इस संबंध में हज समिति 2 जनवरी, 2017 से आवेदन लेना भी शुरू कर चुकी है. यहां यह भी स्पष्ट रहे कि हज मामले पहले विदेश मंत्रालय के अधीन थे, लेकिन उन्हें अब अल्प संख्यंक मामलों के मंत्रालयों को सौंप दिया गया है जो 1 अक्टूपबर, 2016 से प्रभावी हो गये हैं.
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