उर्दू ज़बान को मीडियम से ना सही कम अज़ कम एक ज़बान की हैसियत से स्कूल और कॉलेज के सतह पर पढ़ना चाहीए। उर्दू को और यूनानी को मुसलमानों से जोड़ने की वजह उन के मसाइल की यक्सूई सरकारी सतह पर नहीं हो पाती। इन ख़्यालात का इज़हार जनाब आबिद रसूल ख़ान सदर नशीन ए पी माइनॉरिटी कमीशन ने यहां इदारा सियासत के ज़ेरे एहतेमाम एस एस सी उर्दू मीडियम क्वेश्चन बैंक की रस्म इजराई अंजाम देते हुए किया और कहा कि अक़लीयती कमीशन अगर्चे कि हुकूमत का इदारा है लेकिन वो तमाम मुस्लिम अक़लीयतों को मदऊ करते हैं।
वो उस को अपना इदारा समझ कर मसाइल की हल करने मसाई करें।गुज़िश्ता चार माह में माइनॉरिटी कमीशन में 1500 से ज़ाइद शिकायात सिर्फ़ मुस्लिम अक़लीयतों से मौसूल हुईं जबकि दीगर अक़लीयतों ईसाई, सिख, जैन अपने मसाइल को हल करवाने रुजू होते हैं।
उन्हों ने मुसलमानों के मुख़्तलिफ़ शोबाजात में मसाइल को जानने और उन के हल के लिए हुकूमत से नुमाइंदगी करने एक कमेटी बनाई है जिस में माहिरीन और मिल्लत के बाअसर हज़रात से मश्वरे तलब किए गए हैं।
उर्दू मीडियम के असातिज़ा की जायदादें जो डी एस सी में बताई गईं वो तादाद पर भर्ती नहीं है। हुकूमत बिलख़ुसूस सरकारी ओहदेदार बिलकुल ग़ैर संजीदा हैं। सफ़दरया हाई स्कूल, प्रिंसेस दुर्रेशहवार हाई स्कूल और ए आर एम हाई स्कूल तालिबात ने तराना और नाअत सुनाई। एम ए हमीद ने निज़ामत के फ़राइज़ अंजाम दिए।
इस मौक़ा पर शीला मैडम, मुमताज़ मुजाहिद, शेख़ कलीम उद्दीन और मुख़्तलिफ़ स्कूल्स के असातिज़ा मौजूद थे। एम ए हमीद ने आख़िर में शुक्रिया अदा किया।