उर्दू तालीम को रोज़गार से मरबूत करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए वज़ीरे फ़रोग़ इंसानी वसाइल एम. पल्लम राजू ने आज कहा कि स्कूलों के निसाब में उर्दू को शामिल किया जाना चाहीए। इस के साथ साथ उन्होंने उर्दू ज़रिये तालीम से कामयाब तलबा के लिए पब्लिक और प्राईवेट सेक्टर्स में रोज़गार के मवाक़े फ़राहम करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
पल्लम राजू ने उर्दू ज़बान के फ़रोग़ के सिलसिले में मुनाक़िदा बैन-उल-अक़वामी कान्फ़्रैंस के मौक़े पर कहा कि ख़ानगी और साथ ही साथ सरकारी स्कूलों में कई हिंदुस्तानी ज़बानों को तालीम दी जाती है। इस निसाब में उर्दू को भी जगह दी जानी चाहीए और ख़ानगी-ओ-सरकारी मदारिस में उर्दू को बहैसियत एक ज़बान शामिल किया जाना चाहीए। उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया, तशहीरी कॉरपोरेट इदारे और तफ़रीही इंडस्ट्री उर्दू के भरपूर वसाइल के इमकानात तलाश करे और वो उर्दू के ज़रिये अपने तिजारती-ओ-मआशी मक़ासिद को पूरा करसकती हैं।
जब उनसे पूछा गया कि उर्दू के फ़रोग़ के सिलसिले में उनकी विज़ारत के क्या मंसूबे हैं, पल्लम राजू ने कहा कि जहां तक ख़ानगी स्कूलों का ताल्लुक़ है ये उनकी मर्ज़ी पर मुनहसिर है और जहां तक सरकारी स्कूलों जैसे केंद्रीय विद्यालय का ताल्लुक़ है हमने ये हिदायात जारी की हैं कि जहां कहीं किसी एक ज़बान के लिए 10 ता 12 तलबा हों, वहां इस ज़बान के लिए टीचर का तक़र्रुर किया जाये। इस तरह हम मवाक़े फ़राहम कररहे हैं।
वज़ीर-ए-ख़ारिजा सलमान ख़ुरशीद ने भी पल्लम राजू के ख़्यालात से इत्तिफ़ाक़ करते हुए कहा कि उर्दू ज़बान को इस अंदाज़ में फ़रोग़ देने के इमकानात तलाश करने की ज़रूरत है कि अवाम ये तसव्वुर करें कि उर्दू ज़बान से उन्हें हक़ीक़ी माअनों में फ़ायदा पहुंचेगा। ये ज़बान उनकी ज़िंदगी में मुआविन साबित होगी। सलमान ख़ुरशीद ने उर्दू को एक मुत्तहदा ज़बान से ताबीर करते हुए अज़राहे मज़ाक़ कहा कि आंध्रा प्रदेश में अगर इस ज़बान का बहुत ज़्यादा इस्तिमाल होता तो आज रियासत की तक़सीम का मसला ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि उर्दू पहले एक रियासत में बोली जाती थी लेकिन अब दो रियास्तों में भी बोली जाएगी।