चार बैत से उर्दू ज़बान में रिवायती नग़मासराई का एक तरीक़ा है जिस का चलन अब खत्म होचुका है।
उर्दू हैरीटेज फेस्टिवल के मौके पर इस रिवायती चलन का अहया अमल में आया। भोपाल, टोंक, रामपूर, अमरोहा मुरादाबाद और चांद पूर जैसे शहरों में आज भी चारबीत का चलन है जो दरअसल अफ़्ग़ानिस्तान से यहां पहुंचा और इस तरह उर्दू, हिन्दी, ब्रजभाषा में चार बैत ने अपना एक मुनफ़रद मुक़ाम बनालिया था।