मुल्क और रियासत में स्कूली तालीम के फ़रोग़ के लिये हज़ारों करोड़ रुपये मुख़तस किए जाने के बलंद बाँग दावे किए जाते हैं । ख़ुद हमारी रियासत में हर चीफ मिनिस्टर ने अपने दौर-ए-इक्तदार में अवामी बहबूद के लिये मुख़्तलिफ़ प्रोजेक्ट्स शुरू करने का ऐलान किया । खासतौर पर स्कूली तालीम पर ख़ुसूसी तवज्जा मर्कूज़ करने के अज़ाइम ज़ाहिर किए ।
इस के बावजूद स्कूलों की हालत बदली और ना ही मासूम बच्चों की क़िस्मत । हाँ अगर कुछ तबदीली आई है तो वो बलंद बाँग दावे करने वाले सियासतदानों के हालात में आई तबदीली है । उर्दू मीडियम मदारिस के साथ हुकूमत और सरकारी ओहदेदारों के रवैय्या से तो ऐसा लगता है कि वो इन मदारिस को जल्द से जल्द बंद करने में दिलचस्पी रखती है ।
पुराना शहर के एक बुज़ुर्ग ने इंतिहाई ब्रहमी के अंदाज़ में बताया कि एक ज़माना एसा भी था जब उर्दू मीडियम मदारिस वसीअ-ओ-अरीज़ इमारतों में क़ायम थे । बाद में माल खाने के शौकीन अनासिर ने मिल्लत की हमदर्दी के नाम पर इन स्कूलों को अपने ज़ाती मकानात और कारोबारी इदारों या फिर तिजारती-ओ-रिहायशी कॉम्प्लेक्सों में तब्दील करदिया ।
इन ही बुज़ुर्ग का कहना है कि अब तो हुकूमत से लेकर ओहदादार हर कोई उर्दू और उर्दू मीडियम स्कूल के दुश्मन बन गए हैं ताकि मुसलमान तालीम के मैदान में पसमांदा रह जाएं । राक़िम उल-हरूफ़ ने देखा कि अक्सर स्कूलों में विद्दिया वलिन्टरों की हैसियत से लड़कियों की तदरीसी ख़िदमात हासिल की जाती हैं और उन्हें माहाना सिर्फ़ 1800 रुपये तनख़्वाह दी जाती है ।
महंगाई के इस दौर मेंमाहाना 1800 रुपये तनख़्वाह विद्दिया वलिन्टर की ज़िन्दगियों के साथ एक ज़ालिमाना मज़ाक़ है । हद तो ये है कि हुकूमत ये मामूली रक़म भी विद्दिया वलिन्टर को पाबंदी से अदा नहीं कर पाती कई विद्दिया वलिन्टर4 माह से तनख़्वाह हासिल करने से क़ासिर रहीं ।
आप ये तस्वीर देख कर यक़ीनन सोच रहे होंगे कि किसी देहात का ये स्कूल हो लेकिन बड़े ही अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है कि ये स्कूल पुराना शहर में चलाया जा रहा है जब कि हमारे चीफ मिनिस्टर मिस्टर एन किरण कुमार रेड्डी ने 10 जुलाई 2012 को तालीमी पनदरहवाड़ा का इफ़्तिताह करते हुए ऐलान किया था कि हुकूमत ने स्कूली तालीम के फ़रोग़ के लिये तीन हज़ार करोड़ रुपये मुख़तस किए हैं
जिस में इनफ़रास्ट्रक्चर को फ़रोग़ देने 2400 करोड़ रुपये , 9800 इज़ाफ़ी क्लास रूम्स की तामीर पर 700 करोड़ , स्कूलों की हिसारबंदी के लिये 40 करोड़ और हॉस्टलों के लिये कई करोड़ रुपये ख़र्च किए जाएंगे ।
लेकिन अफ़सोस के तालीम को फ़रोग़ देने की बजाय मौजूदा स्कूलों को बर्ख़ास्त करने के इक़दामात किए जा रहे हैं । काश चीफ मिनिस्टर और महिकमा तालीमात के ओहदेदार पुराना शहर के स्कूलों पर भी तवज्जा देते ।।