मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी में तक़र्रुरात के सिलसिले में क़्वाइद की ख़िलाफ़वर्ज़ी और मुबैयना अक़ुर्बा पर्वरी से मुताल्लिक़ रोज़नामा सियासत के इन्किशाफ़ात पर आख़िरकार मर्कज़ी हुकूमत ने यूनीवर्सिटी के क़ियाम से लेकर आज तक किए गए तमाम ज़ुमरों के तक़र्रुरात की जांच का फ़ैसला किया है।
बावसूक़ ज़राए ने बताया कि वज़ारत फ़रोग़ इन्सानी वसाइल की हिदायत पर यूनीवर्सिटी में दो कमेटियां तशकील दी गईं जो टीचिंग और नान टीचिंग स्टाफ़ के तक़र्रुरात की मुकम्मल जांच करेंगी।
दोनों कमेटीयों में बाअज़ साबिक़ आई ए एस ओहदेदारों और यूनीवर्सिटी से ग़ैर मुताल्लिक़ा अफ़राद को शामिल किया गया है ताकि तहक़ीक़ात में मुकम्मल शफ़्फ़ाफ़ियत रहे। साबिक़ वाइस चांसलर मुहम्मद मियां के दौर में इस तरह के तक़र्रुरात की शिकायात मिली थीं जिस पर मर्कज़ी हुकूमत ने यूनीवर्सिटी के क़ियाम से लेकर आज तक कि तमाम तक़र्रुरात के तरीकेकार और क़्वाइद की पाबंदी से मुताल्लिक़ उमूर की जांच का फ़ैसला किया है।
दिलचस्प बात ये है कि मर्कज़ की हिदायत पर अगर्चे दो अलाहिदा कमेटियां तशकील दी गईं लेकिन यूनीवर्सिटी हुक्काम ने इस फ़ैसला को इंतिहाई राज़ में रखा और यूनीवर्सिटी काम के आग़ाज़ के लिए दरकार सहूलतें फ़राहम नहीं की गईं जिसके सबब गुज़िश्ता दो माह से ये कमेटियां अपने काम का आग़ाज़ करने से क़ासिर हैं।
दोनों कमेटीयों का क़ियाम अगर्चे साबिक़ वाइस चांसलर की मजबूरी थी जिन्हों ने मर्कज़ की हिदायत के मुताबिक़ सुबुकदोशी से ऐन क़ब्ल ये कमेटियां तशकील दीं लेकिन उनकी सुबुकदोशी के बावजूद इन कमेटीयों को ग़ैर कारकर्द रखने की कोशिश की जा रही है ताकि गुज़िश्ता 5 बरसों की बेक़ाईदगियों पर पर्दा पड़ा रहे।
कमेटीयों की तशकील के बाद इन अफ़राद में खलबली मच गई जिनके तक़र्रुरात क़्वाइद के मुताबिक़ नहीं हैं वो किसी ना किसी तरह उन कमेटीयों को काम करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
अगर्चे वाइस चांसलर का दावा है कि ये तहरीर उनकी है लेकिन यूनीवर्सिटी के ज़राए ने बताया कि बाअज़ अफ़राद की लिखी गई तहरीर पर इंचार्ज वाइस चांसलर ने सिर्फ दस्तख़त किए। तहरीर लिखने वालों की क़ाबिलीयत का अंदाज़ा के लिए सिर्फ एक ग़लती का इज़हार काफ़ी है।