लखनऊ. उत्तर प्रदेश के गवर्नर राम नाईक ने इतवार को कहा है, मैं उर्दू नहीं जानता, यदि कोई मुझे उर्दू सिखाए तो मैं भी पांच-दस लाइनें उर्दू में बोलूं। उर्दू और हिन्दी के लिए बने इदारे एक दूसरे की पुस्तकों का अनुवाद कर प्रकाशित करें तो दोनों जुबान नजदीक आएंगी।’
उन्होंने कहा कि उर्दू और हिन्दी में तर्जुमा होने पर पाठको की भी दिल्चस्वी बढ़ेगी। इससे दोनों जुबानो को फायदा भी होगा। जहां तक तीन ज़ुबान सिस्टम अपनाए जाने की मांग है
तो कुलाधिपति की हैसियत से मेरे पास ऐसा कोई प्रपोजल आएगा तो कुलपतियों से बातचीत कर के फैसला लेंगे। जीवन बनाने में उच्चशिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए।