उर्दू सी बी ऐस ई, स्टेट बोर्डस स्कूलस में शरीक-ए-निसाब

इमकान है के उर्दू बहुत जल्द स्कूलस के क़ौमी निसाब का हिस्सा बन जाएगी क्योंकि हुकूमत 12 वीं मंसूबा की मुद्दत के दौरान उर्दू ज़बान को बड़े पैमाने पर फ़रोग़ देने का इरादा कर चुकी है।

इस सिलसिला में एक तजवीज़ 12 वीं मंसूबा का हिस्सा बनाई गई है जो क़तईयत के आख़िरी मराहिल में है। 12 वीं मंसूबा की दस्तावेज़ के लिए एसटीरंग कमेटी ने अक़लीयती बहबूद से मुताल्लिक़ एक अलहदा चेपटर तैय्यार किया है।

इस में तजवीज़ किया गया हैकि उर्दू को सिर्फ मदरसों की हद तक महिदूद ना रखा जाय बल्कि ये ज़बान तमाम अहम स्कूलस में पढ़ाई जाय इस मक़सद के तहत ऐसी कोशिश करने की ज़रूरत को उजागर किया गया है कि स्टेट बोर्डस और सी बी ऐस ई के ज़ेर-ए-कंट्रोल स्कूलस में बड़े पैमाने पर उर्दू टीचर्स के तक़र्रुर को यक़ीनी बनाया जाय।

एसटीरिनंग कमेटी की क़तई रिपोर्ट में ये ब्यान किया गया है। उर्दू ज़बान ने अहमीयत हासिल की है क्योंकि ये एक अहम ज़बान है और तरसील का अहम ज़रीया है।

सेमाजी,मज़हबी और इलाक़ाई हदबंदियों का लिहाज़ किए बगै़र ये ज़बान तालीम मुवासिलात और क़ौम की तहज़ीब-ओ-तमद्दुन को तरवीज-ओ-तरक़्क़ी में अहम रोल अदा करती है।

कमेटी ने कहा कि एक ज़िंदा ताबिंदा ज़बान की हैसियत से उर्दू की तरवीज-ओ-इशाअत के लिए ज़रूरी मदद फ़राहम की जानी चाहीए और दरकार कोशिशें होनी चाहीए।

उर्दू को ऐसी ज़बान की हैसियत से तरक़्क़ी दी जाय, जिस में मआशी और सेमाजी मुआमलत और लेन देन हो।इलावा अज़ीं उर्दू की अपनी अदबी अहमीयत है और मज़हबी हम आहंगी उस की रेवायात हैं।

असटीरिंनग कमेटी ने कहा कि इस सिलसिला में ज़रूरी है के उर्दू टीचर्स के तक़र्रुरात वसीअ पैमाने पर होँ और साथ में मदरसों को मुनासिब फंड्स मुहय्या किए जाएं।