उर्दू ज़बान हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहज़ीब की अलामत है। इस ज़बान ने हिंदुस्तान में शानदार तहज़ीबी रवायात क़ायम की हैं।
जिस से मुल्क में मज़हबी रवादारी आपसी भाई चाराइ इत्तेहाद मुहब्बत ख़ुलूस हमदर्दी जैसे जज़बात प्रवान चढ़े हैं। उर्दू की शेअरी-ओ-नस्री अस्नाफ़ में अमीर ख़ुसरो क़ुलीक़ुतुबशाह वली मीर-ओ-ग़ालिब अनीसहाली जोश इक़बाल प्रेम चंद वग़ैरा ने जो शानदार तहज़ीबी रवायात और इक़दार का ख़ज़ाना छोड़ा है इस से असर-ए-हाज़िर के इक़दार से आर्यसमाज और तहज़ीबों के टकराव वाले माहौल में रोशनी हासिल करने की ज़रूरत है और मुस्तक़बिल में भी अपनी तहज़ीबी शनाख़्त बरक़रार रखने और इस से दूसरों को मुस्तफ़ीद करने की ज़रूरत है।
इन ख़्यालात का इज़हार डॉ तक़ी आब्दी ने गिरी राज गर्वनमेंट कॉलेज निज़ामबाद में क़ौमी कौंसिल बराए फ़रोग़ उर्दू ज़बान और शोबा उर्दू के ज़ेरे एहतेम मुनाक़िदा एक रोज़ा क़ौमी-ओ-बैन-उल-अक़वामी उर्दू सेमीनार से बज़रीए वीडीयो कांफ्रेंस बराह-ए-रास्त कनाडा से अपने ख़िताब में क्या।
उन्होंने कहा कि आज समाज में औरतों पर जो मज़ालिम होरहे हैं और इंसानी ज़िंदगी से जिस तरह इक़दार निकल रहे हैं इस के तदारुक के लिए उर्दू के शानदार तहज़ीबी विरसे से इस्तिफ़ादा किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मुस्तक़बिल में उर्दू के फ़रोग़ के लिए मादरी ज़बान में बच्चों की तालीम और उर्दू को रोज़गार से जोड़ने की ज़रूरत है।