उसामा का पता बताने वाले पाकिस्तानी डाक्टर को 33 साल क़ैद

ईस्लामाबाद । एक पाकिस्तानी डाक्टर ने जिस पर अलक़ायदा के लिडर‌ उसामा बिन लादन की क़ियामगाह की चौखट तक पहुंचने में सी आई ए की मदद करने का इल्ज़ाम है। आज 33 साल सज़ा ए क़ैद बामुशक़क़्त का हकदार‌ क़रार दिया गया क्योंकि इस ने बर्तानवी दौर के कबायली कानुनों के तहत ग़द्दारी के जुर्म का इर्तिकाब किया था। शकील आफ़रीदी को सी आई ए कि सरपरस्ती में जाली वैक्सीन प्रोग्राम एबिटाबाद में चलाने का मुर्तक़िब क़रार दिया गया। जहां बिन लादन का पिछ्ले साल 2 मई अमेरीका की एक खु़फ़ीया कार्रवाई के दौरान क़तल कर दिया गया था।

इस के प्रोग्राम का मक़सद उसामा बिन लादन के ख़ानदान वालों के डी एन ए नमूने हासिल करना था जो एक इमारत में मुक़ीम थे। पाकिस्तानी कमीशन ने अमेरीका के धावे में बिन लादिन की हलाकत की जांच‌ के बाद आफ़रीदी को बुलाया और इस पर बडेपैमाने पर साज़िश के इल्ज़ाम में मुक़द्दमा चलाया गया।

सरकारी ज़राए के मुताबिक‌ आफ़रीदी को कबायली कानुनों के तहत जिन्हें सरहदी जराइम क़वाइद कहा जाता है और जो बर्तानवी सत्ता के समय‌ के कानुन हैं, जो पाकिस्तान के कबायली इलाकों में अब भी राइज हैं। 33 साल की सज़ाए क़ैद बामुशक़क़्त सुनाई गई है। ज़राए के मुताबिक‌ आफ़रीदी शुमाली शहर पिशावर के सब से बड़े क़ैदख़ाने को भेज‌ दिया गया।

हुकूमत पहले ही उसे ख़िदमात से हटाचुकी है और इस की हिदायात पर अमल करने वाले नर्सिंग स्टाफ़ को भी हटा दिया जा चुका है। जनवरी में विदेश मंत्री अमरीका हीलारी क्लिन्टन ने एतराफ़ किया था कि आफ़रीदी ने महकमा सुराग़ रसानी अमेरीका कि मदद की थी, जिस की बिना पर उसामा बिन लादन की क़ियामगाह का पता चलाना आसान‌ होसका। अमेरीकी कांग्रेस के अरकान का एक ग्रुप ओबामा इंतेज़ामीया से मुतालिबा कर चुका हैकि अमेरीका की मदद करने पर आफ़रीदी को एज़ाज़ दिया जाए। लेकिन‌ सरकारी तौर पर बन लादन के अरकान ख़ानदान के डी एन ए नमूने हासिल करने की तौसीक़ नहीं होसकी।