अलक़ायदा के बानी रहनुमा उसामा बिन लादैन ने अपने ख़ुतूत में वाज़ेह किया था कि उस की कम अज़ कम 29 मिलियन डॉलर्स की रक़ूम और दीगर मिल्कियतों को इस की मौत की सूरत में किस तरह ख़र्च किया जाए।
ख़बररसां इदारे रोइटर्स के मुताबिक़ 2011 में जब पाकिस्तानी शहर ऐबटाबाद में उसामा बिन लादैन को एक अमरीकी ऑप्रेशन के दौरान हलाक कर दिया गया तो अमरीकी फ़ोर्सेस अपने साथ बिन लादेन के काग़ज़ात और दीगर अशिया भी साथ ले गई थीं।
इन्ही में शामिल 113 ख़ुतूत को अमरीकी इंटेलिजेंस हुक्काम बिन लादेन की वसीयत की हैसियत देते हैं। ख़बररसां इदारे रोइटर्स और ABC टैलीविज़न को इन काग़ज़ात तक ख़ुसूसी रसाई दी जिन्हें अरबी से अंग्रेज़ी में तर्जुमा किया गया है और जिन्हें 2015 में डी क्लासीफाई कर दिया गया था।
इन काग़ज़ात की काफ़ी बड़ी तादाद को अभी तक जारी नहीं किया गया। इन्ही में से एक उसामा बिन लादैन के हाथ से लिखा हुआ एक ख़त भी है जिसके बारे में अमरीकी इंटेलिजेंस हुक्काम का ख़्याल है कि ये 1990 की दहाई के आग़ाज़ में लिखा गया होगा।
इस ख़त में तहरीर है कि सूडान में उसामा बिन लादैन की 29 मिलियन डॉलर्स के असासों को किस तरह तक़सीम किया जाए। ख़त में तहरीर है कि 29 मिलियन डॉलर्स का एक फ़ीसद अलक़ायदा के एक सीनियर अस्करीयत पसंद महफ़ूज़ वल्द वलीद को दिया जाए।
तहरीर के मुताबिक़, वो पहले ही इस में से 20 से 30 हज़ार डॉलर्स ले चुका है। मैंने उस से वाअदा किया था कि अगर वो उसे सूडानी हुकूमत से निकाल कर ले जाता है तो मैं उसे इनाम दूँगा।