मशहूर सितार एवं सुरबहार वादक उस्ताद इमरत खान ने मोदी सरकार से मिला पद्मश्री पुरस्कार ठुकरा दिया है। उनका कहना है यह बहुत देर से दिया जा रहा है और उनके विश्वव्यापी शोहरत और योगदान के अनुरूप नहीं है। इमरत ने कहा कि ऐसे वक्त में जब उनके कनिष्ठ पद्मभूषण से नवाजे जा चुके हैं, उन्हें पद्मश्री पुरस्कार पर मिश्रित विचार आए।
उन्होंने कहा, भारत सरकार ने 82 साल की उम्र में मेरी जिंदगी के आखिरी लम्हों में मुझे पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना है। मैं इस कदम के पीछे की अच्छी मंशा स्वीकार करता हूं, बिना किसी पूर्वाग्रह पाले उन्हें मिश्रित भावनाओं की अनुभूति हो रही है। यह शायद कई दशक बाद आया है। मेरे जूनियर पद्मभूषण पा चुके हैं।
उन्होंने यह बात तब कही जब गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुरस्कार की घोषणा के बाद भारतीय वाणिज्य दूतावास ने उनसे संपर्क किया था। सेंट लुइस में रह रहे उस्ताद इमरत ने कहा कि उन्होंने दुनिया भर में भारतीय शास्त्रीय संगीत, खासकर सितार और सुरबहार के प्रचार-प्रसार में बड़ा योगदान किया है।
इमरत अपने बड़े भाई उस्ताद विलायत खान, उस्ताद बिस्मिल्ला खान, उस्ताद अहमदजान थिरकवा खान और पंडित वीजी जोग के साथ अपने संगीत का जौहर दिखा चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरा संगीत मेरे जीवन का सबसे अहम हिस्सा है। बिना किसी भ्रष्ट आचरण और इस कला के प्रति पूरे समर्पण के साथ मैंने इसे जीवनभर सबसे ऊंचे पायदान पर रखा है।’