उस्मानिया के मुर्दा ख़ाना में सिर्फ़ 50 नाशों की गुंजाइश

उस्मानिया जेनरल हॉस्पिटल के मुर्दा ख़ाना पर बस सानिहा में मरने वालों के ग़मज़दा रिश्तेदारों की आमद का सिलसिला जारी है। मुर्दा ख़ाना के बाहर बाज़ाब्ता तौर पर एक शामियाना नस्ब किया गया है जहां मरने वालों के विरसा बैठे हुए हैं जब कि वहां सयासी क़ाइदीन भी वक़्फ़ा वक़्फ़ा से पहुंच कर मरने वालों के ग़मज़दा रिश्तेदारों को पुर्सा देने के बहाने अपनी दुकानात चमकाने की कोशिश कर रहे हैं ऐसा लग रहा है कि सयासी क़ाइदीन इस अन्दोहनाक वाक़िया में हलाक हुए मुसाफ़िरीन की नाशों पर भी सियासत करने लगे हैं।

कोई सयासी क़ाइद हुकूमत के इक़दामात की तारीफ़ और सताइश कर रहा है तो कुछ सियासतदां हादसा के लिए हुकूमत को ज़िम्मेदार क़रार दे रहे हैं।

जब कि ख़ुद मरने वालों के रिश्तेदारों का कहना है कि ये सब क़िस्मत का खेल है। क़ारईन! हम ने आज भी उस्मानिया जेनरल हॉस्पिटल के मुर्दा ख़ाना का दौरा किया और देखा कि रियासत के इस सब से बड़े सरकारी दवाख़ाना के मुर्दा ख़ाना में सिर्फ़ 50 नाशें रखने की गुंजाइश है।

मुर्दा ख़ाना के कोल्ड स्टोरेज रुम के डीप फ्रीज़र में तमाम 42 मरने वालों की नाशों को ग़ैरमामूली महफ़ूज़ अंदाज़ में पैक कर के रखा गया है जब कि तीन नाशों को उन की शनाख़्त हो जाने के बाइस चहारशंबा को ही हवाले कर दिया गया था। वाज़ेह रहे कि बैंगलोर – हैदराबाद क़ौमी शाहराह पर एक ख़ान्गी ट्रेवल्स की लक्जरी बस शोला पोश हो गई थी जिस में जुमला 45 मुसाफ़िरीन जल कर ख़ाकसतर हो गए थे।

उस्मानिया मेडिकल कॉलेज के शोबा फ़ॉरेन्सिक के सदर प्रोफेसर डॉक्टर तक़ी उद्दीन ख़ान के मुताबिक़ नाशों को इंतिहाई महफ़ूज़ तरीका से पैक किया गया है जिस से किसी किस्म का ताफ़्फ़ुन फैलने का कोई ख़तरा नहीं है।

बहरहाल अब देखना ये है कि अपने अज़ीज़ों की मौत पर ग़म से निढाल विरसा को ये नाशें अंदरून तीन यौम हासिल होती हैं या नहीं। दूसरी तरफ़ डॉक्टर तक़ी उद्दीन ख़ान का कहना है कि मरने वालों के विरसा का सब्र और तहम्मुल ग़ैरमामूली है जिस की जितनी सताइश की जाये कम है। वो लोग मुर्दा ख़ाना के स्टाफ़ से मुकम्मल तआवुन कर रहे हैं।