पुलिस एक्शन के बाद से एक मंसूबे के तेहत शहर की मख़सूस-ओ-मुनफ़रिद शनाख़्त को मिटाने की लगातार कोशिशें जारी हैं । इन नापाक कोशिशों में कभी ख़ुद साख़ता दानिश्वरों माहिरीन तालीम , उसे मफ़ादात के ग़ुलाम सियासतदानों ने फ़िर्क़ा परस्तों का रोल अदा किया तो कभी यही अनासिर फ़िर्क़ा परस्त -ओ-शरपसंद तनज़ीमों के कारकुनों की शक्ल में सामने आकर शहर हैदराबाद-ओ-फ़र्ख़ंदा बुनियाद की मुस्लिम शनाख़्त को मिटाते रहे ।
सब से पहले फ़िर्क़ा परस्तों ने ना सिर्फ़ बर्र-ए-सग़ीर एशिया बल्कि दुनिया की सब से पहली उर्दू ज़रीया तालीम की हामिल यूनीवर्सिटी जामिआ उस्मानिया पर वार किया एक तीर से दो शिकार करके मुस्लिम और उर्दू दुश्मनों ने एक तो यूनीवर्सिटी के उर्दू ज़रीया तालीम को ख़त्म करदिया दूसरे उस की शनाख़्त मिटाने की बार-बार कोशिशें की और अक्सर कोशिशों में उन्हें कामयाबी भी मिली ।
ख़ुद उस्मानिया यूनीवर्सिटी के साबिक़ प्रोफेसर वीश वेशर राव का कहना है कि 1600 एकड़ जमीन पर मुहीत उस्मानिया यूनीवर्सिटी की तक़रीबा 400 एकड़ जमीन पर नाजायज़ क़बज़े कर लिए गए हैं ।
33 एकड़ जमीन पर मनादिर तामीर करली गइं हैं या उन आराज़ीयात को मंदिरों की जमीन की हैसियत से पेश किया गया है हद तो ये है कि उस्मानिया यूनीवर्सिटी में फ़िलवक़्त 15 मनादिर गैर कानूनी तौर पर तामीर करली गई हैं ।
इसके बावजूद किसी वाइस चांसलर ने इस पर एतराज़ नहीं किया । जबकि ज़राए का कहना है कि मौजूदा वाइस चांसलर जो खम्मम से ताल्लुक़ रखते हैं अपने फ़िर्क़ा परस्त नज़रियात के लिए बदनाम हैं।
यूनीवर्सिटी ज़राए का कहना है कि ये वाइस चांसलर हिंदूस्तान की इस सर-ए-फ़हरिस्त यूनीवर्सिटी के लिए मौज़ूं नहीं है यूनीवर्सिटी में जाबजा मनादिर नज़र आएंगी । ये दरअसल शहर की तहज़ीबी शनाख़्त को मिटाने की साज़िश का एक हिस्सा है ।
अब तो फ़िर्क़ा परस्तों के हौसलों काया हाल होगया है कि वो मसाजिद-ओ-ईदगाहों की आराज़ीयात और मौक़ूफ़ा ज़मीनात पर मंदिरें तामीर करने पर तुले हैं इस मुआमला में उन्हें फ़िर्क़ा परस्त ओहदेदारों का तआवुन हासिल है ।
उस्मानिया यूनीवर्सिटी के पास एक 130 साला क़दीम जामे मस्जिद साद उद्दीन साहब है । ये मस्जिद ओलड डेरी फ़ार्म मस्जिद के नाम से भी मशहूर है । आप को बतादें कि इस क़दीम मस्जिद में तलबा को अरबी और अंग्रेज़ी बोल चाल सिखाई जाती है ।
फ़िलवक़्त रियासत-ओ-बैरून रियासत के 100 तलबा यहां मुक़ीम हैं और उन के लिए तीनों वक़्त के ताम का भी इंतिज़ाम है । प्रोफेसर सय्यद जहांगीर जो मस्जिद की इंतिज़ामी कमेटी के सदर हैं इस मदरसा के बानी इन बच्चों के लिए तीनों वक़्त का खाना भी खुले आसमान तले बनाया जाता है ।
डाक्टर सय्यद जहांगीर इस मस्जिद में माद अलहदीस चलाते हैं । उनके इस मदरसा को आलम अरब में काफ़ी इज़्ज़त-ओ-एहतिराम की निगाह से देखा जाता है । यहां से फ़ारिग़ उल-तहसील तलबा ना सिर्फ़ अरब ममालिक में बल्कि हिंदूस्तान में कई मल्टीनेशनल कंपनियों में बरसर ख़िदमत हैं
बहरहाल हुकूमत को चाहीए कि वाइस चांसलर उस्मानिया यूनीवर्सिटी मिस्टर एस सत्य नारायना को फ़िर्कापरस्ती के मुज़ाहरा से बाज़ रखे और उन की ज़हनियत को देखते हुए उस्मानिया यूनीवर्सिटी के बावक़ार ओहदा से उन्हें हटा दे ताकि तालीम के नाम पर दानिश्वरी की खाल ओढ़े फ़िर्क़ा परस्त भेड़ियों को सबक़ मिल सके ।