उस्मानिया हॉस्पिटल को मुनहदिम करने से कोई ताक़त रोक नहीं सकती: चीफ़ मिनिस्टर

हैदराबाद 08 अगस्त: उस्मानिया हॉस्पिटल की तारीख़ी इमारत का मसला टी आर एस हुकूमत और चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव‌ के लिए दिन बह दिन तनाज़ा में इज़ाफे का सबब बन रहा है।

चीफ़ मिनिस्टर ने अगरचे हॉस्पिटल के इन्हिदाम और इस की जगह नई इमारत की तामीर का फ़ैसला कर लिया है और इस सिलसिले में बाज़ इंजीनियरस से भी मुशावरत की गई ताहम दूसरी तरफ़ हुकूमत और पार्टी में एक गोशा इस फ़ैसला की मुख़ालिफ़त कर रहा है।

इस तरह उस्मानिया हॉस्पिटल की इमारत के इन्हिदाम के मसले पर हुकूमत और बरसर-ए-इक्तदार पार्टी में इख़तेलाफ़ राय पैदा हो गया। अगरचे इन्हिदाम के मुख़ालिफ़ीन खुल कर इज़हार-ए-ख़याल से गुरेज़ कर रहे हैं क्युंकि उन्हें मुख़ालिफ़त की सूरत में चीफ़ मिनिस्टर की नाराज़गी का सामना करना पड़ सकता है।

इस के बावजूद तारीख़ी इमारत के तहफ़्फ़ुज़ के हामी ख़ामोशी से सरकारी हलक़ों में अपनी राय का इज़हार कर रहे हैं। बावसूक़ ज़राए ने बताया कि चीफ़ मिनिस्टर इस मसले पर इस क़दर आगे बढ़ चुके हैं कि उन्होंने क़रीबी हलक़ा में यहां तक कह दिया कि उन्हें इमारत के इन्हिदाम से कोई ताक़त रोक नहीं सकती।

चीफ़ मिनिस्टर का दावा हैके उस्मानिया हॉस्पिटल अगरचे तारीख़ी विरसा की हामिल यादगार है लेकिन इस की बोसीदा-ओ-ख़स्ता हालत में सिवाए इन्हिदाम के कोई रास्ता नहीं। ज़राए ने बताया कि बाज़ गोशों की तरफ से जब इन्हिदाम की मुख़ालिफ़त की गई तो चीफ़ मिनिस्टर ने इन अफ़राद पर अपनी ब्रहमी का इज़हार किया।

उन्होंने शहर से ताल्लुक़ रखने वाले वुज़रा को पाबंद किया हैके वो इमारत के इन्हिदाम के मसले पर राय आम्मा हमवार करने की कोशिश करें। ज़राए ने बताया कि चीफ़ मिनिस्टर की इस हिदायत पर अमल आवरी के दौरान एक वज़ीर की तरफ से चारमीनार के इन्हिदाम से मुताल्लिक़ मुतनाज़ा बयान पर चीफ़ मिनिस्टर ने नाराज़गी का इज़हार किया और वुज़रा को हिदायत दी कि वो इस तरह के मुतनाज़ा रिमार्कस से गुरेज़ करें।

बताया जाता हैके रियासती काबीना में मौजूद चंद वुज़रा इन्हिदाम के हक़ में नहीं हैं और उनका इस्तिदलाल हैके इस फ़ैसले से हुकूमत रियासत भर में अक़लियतों की ताईद से महरूम हो सकती है। इन्हिदाम के मुख़ालिफ़ वुज़रा का मानना हैके हुकूमत को आसारे-ए-क़दीमा के माहिरीन की ख़िदमात हासिल करते हुए इमारत की तामीर-ओ-मरम्मत के ज़रीये तहफ़्फ़ुज़ को यक़ीनी बनाना होगा।

जिस तरह गुम्बदान क़ुतुब शाही के तहफ़्फ़ुज़ के लिए माहिरीन की ख़िदमात हासिल की गईं इसी तरह उस्मानिया हॉस्पिटल की इमारत इन्हिदाम से बचाई जा सकती है। बताया जाता हैके टी आर एस के बाज़ अरकाने पार्लियामेंट-ओ-असेंबली ने भी निजी तौर पर इन्हिदाम की मुख़ालिफ़त की है।

बताया जाता हैके मुक़ामी सियासी जमात ने चीफ़ मिनिस्टर को तयक़्क़ुन दिया कि वो इस मसले पर हुकूमत की मुख़ालिफ़त नहीं करेगी। यही वजह हैके चीफ़ मिनिस्टर के एलान के बाद से मुक़ामी सियासी जमात ने लब-कुशाई नहीं की।

अगरचे सलातीन आसफ़िया की यादगारों के तहफ़्फ़ुज़ के सिलसिले में मुक़ामी जमात को आगे रहना चाहीए था लेकिन वो सियासी मुफ़ादात के तहत टी आर एस की हलीफ़ बन चुकी है जिसके नतीजे में अवाम में नाराज़गी देखी जा रही है।

इन्हिदाम की राह में टी आर एस हुकूमत के लिए सबसे बड़ी रुकावट मर्कज़ी हुकूमत है जिसे इस इमारत को आसारे-ए-क़दीमा की फ़हरिस्त से अलाहिदा करना होगा। देखना ये हैके हुकूमत दाख़िली इख़तेलाफ़ात और अवामी नाराज़गी का किस तरह सामना करेगी।

चीफ़ मिनिस्टर की हिदायत के बावजूद कई वुज़रा और पार्टी क़ाइदीन ने इन्हिदाम के मसले पर राय ज़नी से गुरेज़ किया है ताके अवामी नाराज़गी से बचाजा सके।