(ख़ुसूसी रिपोर्ट) उस्मानिया दवाख़ाना जो ना सिर्फ हैदराबाद बल्कि हिंदूस्तानी सतह पर सब से क़दीम दो अक्खानो में से एक है जहां बरसों से यौमिया सैंकड़ों मरीज़ रुजू होते हैं …मगर सब से अफ़सोसनाक पहलु ये है कि माहाना लाखों रुपये के उख़रा जा त से चलाए जाने वाले इस दवाख़ाना में सैंकड़ों मरीज़ों और अमला के लिए पीने के पानी का माक़ूल इंतिज़ाम ही नहीं है जोकि सब से बुनियादी चीज़ है। हालत ये हो गई है कि मरीज़ों को बाहर से पीने के पानी का महंगा बॉटल खरीद कर पीना पड़ रहा है।इस क़दर वसीअ और बड़े दवाखाने में पीने का सिर्फ एक नल कारकरद है जोकि शाम पाँच छः बजे तक बंद हो जाता है, जबकि आउट पेशंट अहाते में में मौजूद पीने के पानी का एक नल अरसा-ए-दराज़ से बंद पड़ा है जिसका कोई पुर्साने हाल नहीं है।
नुमाइंदा सियासत ने जब इस दवाखाने केMRO मुहम्मद रफ़ी से रब्त पैदा किया तो उनका कहना था कि आउट पेशंट अहाते में मौजूद नल मौसम-ए-गर्मा की आमद के बाद बना दिया जाऐगा,जब उनकी तवज्जा इस जानिब मबज़ूल करवाई गई कि दवाखाने से रुजू होने वाले मरीज़ों की अक्सरियत बाहर से पानी का बॉटल खरीदने पर मजबूर हैं तो उन्हों ने इस की तरदीद करते हुए कहा कि अगर कोई अपनी मर्ज़ी से खरीद कर पीते हैं तवो उनकी अपनी मर्ज़ी है,वर्ना यहां पीने के पानी का जो एक नल कारकरद है इसमें चौबीसों घंटे पानी आता है।
दूसरी तरफ़ उसी दाखाने में काम करनेवाली तकरीबन पाँच सौ से ज़ाइद नरसेस का कहना है कि पानी की क़िल्लत की वजह से वो रोज़ाना अपने घरों से पानी लेकर आती हैं और अगर कम पड़जाए तो वो भी मरीज़ों की तरह बाहर से ही पीने का पानी खरीद कर पीती हैं ।उनके मुताबिक़ इस हवाले से कई बार मुताल्लिक़ा ज़िम्मेदारों को तवज्जा दिलाई गई मगर इस संगीन मसले का आज तक कोई हल नहीं निकल सका।
वाज़ेह रहे कि 1168बिस्तरों पर मुश्तमिल इस दवाखाने में 160 इमरजंसी और 685 जनरल बेड्स का इंतिज़ाम है।मरीज़ों के ईलाज के लिए 250 फ़ज़िशियनस बरसर-ए-कार हैं जिनमें 190 सिवल अस्सिटैंट सर्जन हैं, जबकि 530 नर्सिंग स्टाफ़ भी मरीज़ों की देख भाल के लिए मौजूद हैं। ताहम बताया जाता है कि दवाख़ाना के तकरीबन तमाम अमला या तो अपने अपने घरों से पानी लाकर पीते हैं या खरीद कर।ज़ राए के मुताबिक़ इस दवाख़ाना में मरीज़ों की अक्सरियत बाहर से पानी खरीद कर पी रहे हैं और इस बारे में जब मुताल्लिक़ा वार्डन या अमला से सवाल करते हैं तो वो अपनी मजबूरी ज़ाहिर करते हुए कहते हेंका वो ख़ुद भी बाहर का पानी पीने पी रहे हैं।
जबकि दवाख़ाना से बाहर पानी का बॉटल खरीदने पर दस ता बारह रुपये का बॉटल मरीज़ों को 13 ता 15 रुपये में खरीदना पड़ रहा है,बावसूक़ ज़राए ने बताया कि मिनरल वाटर की लोकल कंपनियां और दवाख़ाना ईनेतज़ामिया के दरमियान मिली भगत की वजह से दवाख़ाना में पीने के पानी का माक़ूल इंतिज़ाम करने से हमेशा गुरेज़ किया जाता रहा है ।निज़ामाबाद से ताल्लुक़ रखने वाले मरीज़ों के रिश्तेदारों ने अपना नाम ज़ाहिर ना करने की शर्त पर सियासत को बताया कि वो पिछले चार दिन से इस दवाखाने में ज़ेर ईलाज हैं ताहम जहां दीगर और कई मसाइल का सामना करना पड़ रहा है वहीं पीने के पानी का मसला काफ़ी परेशान कुन है ,
उनके मुताबिक़ पीने के पानी का सिर्फ एक नल मौजूद है जो काफ़ी दूर में वाक़ै है और वोह भी शाम पाँच बजे बंद हो जाता है।जिसके बाद मजबूरन बाहर से ही खरीदकर पानी पीना पड़ रहा हे। सवाल ये है कि सेहत आम्मा के नाम पर करोड़ों रुपये बजट में मुख़तस करने के बावजूद अगर सरकारी हॉस्पिटल में मरीज़ों के लिए पानी का भी माक़ूल इंतिज़ाम नहीं किया जा सकता है तो फिर ये करोड़ों रुपये की तख़सीस किस काम की ? और किस के लिए?