लखनऊ, 31 जुलाई 2016। रिहाई मंच ने लखनऊ के तकरोही के चंदन गांव में मरी गाय को ले जा रहे दो दलित कर्मचारियों को अराजक तत्वों द्वारा मारने-पीटने की घटना को देश में हो रही दलित हिंसा का एक और ताजा उदाहरण बताया। मंच ने कहा कि जिस तरीके से पिछले दिनों मैनपुरी में 15 रुपए के लिए दलित दंपत्ति भारत व ममता को अशोक मिश्रा द्वारा कुल्हाड़ी से मार डाला गया और अब राजधानी में दलितों पर हमला साफ करता है कि अखिलेश सरकार हत्यारे सामंती तत्वों का खुला संरक्षण कर रही है।
रिहाई मंच नेता अमित मिश्रा व रिहाई मंच लखनऊ महासचिव शकील कुरैशी ने जारी बयान में कहा कि ऊना से लेकर लखनऊ तक में गाय के नाम पर दलितों के साथ जो हिंसा हो रही है वह स्पष्ट करता हैं कि पूरे देश में संघ परिवार सुनियोजित तरीके से दलितों पर हमले करवा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से राजधानी में दलित कर्मचारियों के साथ गाय के नाम पर मारपीट की गई उससे यह समझा जा सकता है कि जिस प्रदेश में दादरी में गाय के नाम पर अखलाक की हत्या संघी गुण्डों द्वारा हत्या कर दी गई हो वहां के दलित और मुस्लिम समुदाय के अंदर कितना खौफ होगा। यूपी में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा के साथ यूपी का देश में दलित व महिला हिंसा में सबसे आगे होना यह साबित करता है कि यहां सांप्रदायिक-सामंती तत्वों को सरकार का खुला संरक्षण प्राप्त है।
रिहाई मंच ने गुजरात में दलित हिंसा के खिलाफ चल रहे आंदोलन को अपना समर्थन दिया। नेताओं ने कहा कि रिहाई मंच तकरोही का जल्द ही दौरा करेगा।