नई दिल्ली। मोदी सरकार में एक के बाद एक हैरान कर देने वाले समाचार प्रतिदिन बढते जा रहे हैं ताज़ा ख़बर के मुताबिक करोड़ों के एंब्रेयर विमान सौदे की जांच में सीबीआई को गड़बड़ी के पुख्ता सुबूत मिले हैं. आप को बता दें की भारत के ब्राजील से हुए इस 20.8 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 1382 करोड़ रुपए) के रक्षा सौदे में एक बिचौलिए को 55 लाख डॉलर (करीब 36 करोड़ रुपए) की दलाली दी गई थी।
सीबीआई के सूत्रों ने बुधवार को बिचौलिया कहां का है या उसका नाम क्या है यह बताए बिना कहा कि जांच एजेंसी उस देश की जांच एजेंसियों के संपर्क में है। ताकि इस घोटाले के बारे में और विस्तृत जानकारी मिल सके। सीबीआई को पता चला है कि ब्राजील की विमान निर्माता कंपनी एंब्रेयर ने भारत को तीन विमान बेचने के लिए करीब 36 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी।
सीबीआई ने प्रारंभिक जांच में घोटाले की पुष्टि होने के बाद अब जल्द ही इसे नियमित एफआईआर में बदलने की तैयारी कर ली है। प्रारंभिक जांच में सीबीआई को केस दर्ज करने के लिए पर्याप्त सुबूत मिल चुके हैं। वर्ष 2008 में हुए इस सौदे में मिले इन तीन विमानों को भारत की डिफेंस रीसर्च एंड डेवलेपमेंट आर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) को रडार प्रणाली से लैस करना था।
हाल ही में ब्राजील के एक अखबार ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि एंब्रेयर कंपनी ने अपना सौदा पक्का कराने के लिए एक बिचौलिए की मदद ली है। वह उसके जरिए सऊदी अरब और भारत को अपने विमान बेचना चाहती है। ब्राजील के प्रमुख अखबार “फोल्हा डे साओ पालो” की रिपोर्ट में एंब्रेयर कंपनी पर आरोप लगाया गया है कि उसने ब्रिटेन में बसे एक रक्षा एजेंट को भारत के साथ करार कराने के लिए दलाली दी है।
उल्लेखनीय है कि डीआरडीओ ने ब्राजील की कंपनी से तीन विमान खरीदे थे। उसे बाद में इसे रडार प्रणाली से युक्त करना था। इसे भारतीय वायुसेना में अवाक्स या पूर्व चेतावनी व नियंत्रण प्रणाली के तौर पर भी जाना जाता है।
ब्राजीली कंपनी एंब्रेयर की गतिविधियों को लेकर अमेरिकी न्याय विभाग वर्ष 2010 से ही जांच कर रहा है। यह जांच तब शुरू हुई जब डोमिनिक रिपब्लिक ने अमेरिकियों पर विमान सौदे को लेकर संदेह जताया। इसके बाद से यह इस सौदे को लेकर भारत और आठ अन्य देशों के खिलाफ जांच चल रही है। गौरतलब है कि भारत की रक्षा नियमावलियों के अनुसार रक्षा सौदों में बिचौलिए पर सख्त प्रतिबंध है आख़िर नियमों को ताक पर रखकर ये दलाली की गयी है इसके पीछे जो भी कारण हों पर एक बार फिर ये गहरे घोटाले के संकेत की तरफ ही इशारा कर रहे हैं ।