अस्सलाम-ओ-अलेकुम, सिआसत हिंदी में आज हम तारीख़ के उस पहलु पे रौशनी डालने जा रहे हैं जिसे शायद अंधेरों में धकेल दिया गया है. ये उस वक़्त की बात है जब उत्तरी अमरीका में मौजूद ब्रिटेन की 13 कॉलोनीयाँ आज़ाद होने के लिए ब्रिटेन से संघर्ष कर रही थीं.
ये वो दौर है जब ब्रिटिश की दमनकारी राजनीति से परेशान होकर अमरीकी लोगों ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ अभियान छेड़ दिया था. 1770 के दशक में होने वाली अमरीकी क्रान्ति ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला के रख दी.
1775 से लेकर 1783 तक चले इस संग्राम में अंग्रेजों को मूंह की खानी पड़ी और 13 कालोनीयों ने आज़ादी का परचम लहराया लेकिन अमरीका की इस आज़ादी में अगर हम फ्रांस का रोल नहीं भूल सकते टो शायद हमें एक और देश के रोल को याद रखना होगा और वो देश था मोरक्को, मोरक्को एक मुस्लिम देश था और एक बहुत महत्वपूर्ण ट्रेड द्वार पर है. मोरक्को के सुलतान ने अमरीकियों को मान्यता देकर अमरीका की आज़ादी पे मोहर लगा दी थी. सुलतान मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह ने आज़ादी के इस संघर्ष के दौरान ही अमरीका से एक व्यापारिक संधि कर ली जिससे ये साबित हो गया कि अमरीका एक देश है.
अमरीका के पहले राष्ट्रपति और इस स्वतंत्रता संग्राम के हीरो जॉर्ज वाशिंगटन ने सुलतान की सराहना की थी, बाद के राष्ट्रपति जैसे थॉमस जेफरसन ने भी उनकी सराहना की. वाशिंगटन ने सुल्तान को ख़त लिख के धन्यवाद भी दिया था.