एक नए एशीया की तामीर के लिए अमन-ओ-इस्तिहकाम को फ़रोग़ देना हिन्दुस्तान और जापान का मुशतर्का नज़रिया है। सदर प्रणब मुखर्जी ने हिन्दुस्तान का दौरा करने वाले शहनशाह जापान अकीहीटो और मलिका जापान मचीको के एज़ाज़ में मुनाक़िदा तक़रीब से जो राष़्ट्रपत्ती भवन में मुनाक़िद की गई थी कहा कि हिन्दुस्तान और जापान की शराख दारी जम्हूरियत ,क़ानून की हुक्मरानी और फ़र्द के हुक़ूक़ जैसी मज़बूत बुनियादों पर क़ायम हैं।
जापान के शाही जोड़े ने सदर जम्हूरिया से कल मुलाक़ात की थी। उनके एज़ाज़ में मुनाक़िदा तक़रीब से ख़िताब करते हुए सदर जम्हूरिया ने कहा कि ये हमारे अवाम की तरक़्क़ी और ख़ुशहाली के लिए हमारी बाहमी जुस्तजू की अलामत है। हिन्दुस्तान और जापान अमन-ओ-इस्तिहकाम के फ़रोग़ का मुशतर्का मंसूबा रखते हैं और एशीया को भरपूर मौक़े हासिल होने के ख़ाब को हक़ीक़त का रूप देने के लिए मुत्तहिद हैं।
उन्होंने कहा कि आज दोनों ममालिक के ताल्लुक़ात बाहमी रवाबित से कहीं ज़्यादा हैं। दोनों ममालिक हक़ीक़ी आलमी शराकतदारी को मुस्तहकम करना चाहते हैं। दिफ़ाई मुफ़ादात में एक दूसरे को शरीक करना चाहते हैं। सदर जम्हूरिया ने शहनशाह-ओ-मलिका जापान के दौरा हिंद का ख़ैर मुक़द्दम किया और कहा कि हिन्दुस्तानी अवाम और हुकूमत उनके दौरे को अपने लिए एज़ाज़ समझती है।
उन्होंने कहा कि ये हैरतअंगेज़ है कि शाही जोड़ा 52 साल बाद राष्ट्रपति भवन में मौजूद हैं जब इनका साबिक़ा दौरे 1960 में हुआ था तो शहनशाह उस वक़्त जापान के वलीअहद और मलिका शहज़ादी थीं। ये वाक़िया हिन्दुस्तानी अवाम के ज़हन में आज भी ताज़ा है क्योंकि वो इन दोनों को इंतिहाई मुहतरम मुक़ाम देते हैं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हिन्दुस्तान के गहरे इक़दार जापान के साथ क़रीबी दोस्ती को इंतिहाई एहमीयत देते हैं जो बाहमी एहतिराम और सताइश की मज़बूत बुनियाद पर क़ायम है। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे तहज़ीबी ताल्लुक़ात एक हज़ार साल पुराने हैं। बुध मत एक मुक़द्दस बंधन है जिस ने दोनों ममालिक को बांध रखा है।
हिन्दुस्तान और जापान के दरमियान तालीमी और तहक़ीक़ी तबादले अह्द क़दीम से जारी है। दोनों ममालिक फ़िलहाल नालंदा यूनीवर्सिटी के अहया में बाहम तआवुन कर रहे हैं। तक़रीब से ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा कि शहनशाह और मलिका जापान की हिन्दुस्तान में मौजूदगी बाहमी ताल्लुक़ात का एक तारीख़ी संग-ए-मील हैं।
ये सदाबहार दोस्ती में मज़ीद गहराई का नक़ीब है। उन्होंने कहा कि दोनों ममालिक यकजहत हैं और हमेशा एक दूसरे के साथ तआवुन करते रहते हैं। उन्होंने याददहानी के कि एक वक़्त वो भी था जबकि हिन्दुस्तान के अज़ीम सपूत स्वामी विवेकानंद ,जमशेद जी टाटा ,गुरु देव रवींद्र नाथ टाईगोर ,नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ,रास बिहारी बोस और जस्टिस विनोद राधा पाल ने हिंद-जापान दोस्ताना रवाबित के इस्तिहकाम में अपना किरदार अदा किया था। उन्होंने कहा कि शाही जोड़े के दौरे से दोनों ममालिक और उनके अवाम की बाहमी रवाबित के क़ियाम की कोशिशों में इज़ाफ़ा होगया।