एक बार फिर से मानवता शर्मसार : बेटी की लाश कंधे पर उठाकर 2 किलोमीटर तक चला पिता

बिहारशरीफ : रामबालक नाम का एक आदिवासी अपनी बेटी का इलाज कराने के लिए जमुई से मंगलवार को पटना के एम्स पहुंचा. जो जमुई में मजदूरी करता है और बेहद गरीब है, अपनी पत्नी संजू के साथ बेटी रोशन का इलाज कराने के लिए एम्स आया मगर बिहार के इतने बड़े अस्पताल में पहुंचने के बाद रामबालक के साथ जो हुआ उसकी वजह से उसकी बेटी की मौत हो गई.

रामबालक अस्पताल में धक्के खाते रहा और अपनी बीमार बेटी का हवाला देता रहा मगर उसके बावजूद भी कोई डॉक्टर या अस्पताल का कर्मचारी उसकी मदद करने के लिए सामने नहीं आया. आखिरकार, जब रामबालक को समझ में आया कि पंजीकरण कराने के लिए उसे कौन से काउंटर पर खड़ा होना है तो वह वहां जाकर लाइन में लग गया मगर जब तक उसका नंबर आया उसे बताया गया कि ओपीडी का समय समाप्त हो गया है और वह अगले दिन आए. इसी दौरान रामबालक की बेटी की हालत और बिगड़ गई और अस्पताल के अंदर ही उसकी मौत हो गई.

गरीबी की वजह से अपनी बेटी की लाश को एंबुलेंस से घर ले जाने के पैसे भी उसके पास नहीं थे और अस्पताल ने भी उसकी कोई मदद नहीं की. आखिरकार, रामबालक ने अपनी बेटी की लाश को अपने कंधे पर उठाया और अपनी पत्नी के साथ 2 किलोमीटर तक चलता हुआ फुलवारीशरीफ टेंपो स्टैंड पहुंचा और वहां से वह किसी तरीके से पटना रेलवे स्टेशन आया. उसके बाद ट्रेन पकड़ कर अपनी बेटी की लाश के साथ वापस जमुई चला गया.

इस घटना ने एक बार फिर से मानवता को शर्मसार कर दिया है और बताया है कि किस तरीके से मानव समाज संवेदनाहीन होता जा रहा है.