ओअडीशा के ज़िला गंजाम की एक 62 साला बेवा ने रियास्ती हुकूमत ( राज्य सरकार) के साथ गुज़शता ( पिछले) 12 साल से पेंशन और ग्रेजुवीटी (pension and gratuity) के लिए क़ानूनी जंग की इसके शौहर का 2000 में इंतेक़ाल हो गया था और आख़िर कार इस ने ये जंग जीत ली ।
शांति लता पटनायक साकन चुदंगापुर(Chudangapur) ज़िला गंजाम (Ganjam) ने उबूरी पेंशन और ग्रेजुवीटी (provisional pension and gratuity)हासिल कर ली जबकि जारीया माह के अवाइल में एक स्पेशल लीव पेटीशन (Special Leave Petition (SLP) )रियास्ती हुकूमत की जानिब से सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल की गई थी जो मुस्तर्द ( रद्द) कर दी गई ।
बेवा के मुशीर क़ानूनी सिद्धार्थ प्रसाद दास ने कहा कि ओडीशा हाईकोर्ट ने इसके दावे की अंदरून एक माह यकसूई का हुक्म देते हुए हाल ही में तहक़ीर अदालत दरख़ास्त की यकसूई कर दी । उन्होंने कहा कि दरख़ास्त गुज़ार के शौहर विनोदानंदा पटनायक (Binodananda Patnaik) बहैसीयत अस्सिटेंट सर्जन दफ़्तर एग्ज़ीक्यूटिव इंजीनीयर हरबंगी आबपाशी डीवीजन ( सिंचाई विभाग irrigation division) अड्डावा (Adava )ज़िला गजपति में बरसर-ए-कार ( कार्यरत) था इस का इंतेक़ाल 20 अगस्त 2000 को हुआ ।
क़ब्लअज़ीं इस ने रियास्ती इंतिज़ामी ट्रब्यूनल (State Administrative Tribunal (SAT) में एक मुक़द्दमा उस की मुलाज़मत (सेवा) को बाक़ायदा बनाने के लिए दायर किया था लेकिन वो मुक़द्दमा के ट्रब्यूनल (Tribunal) में ज़ेर अलतवा रहने के दौरान ही इस का इंतिक़ाल हो गया । इस के बाद शांति लता ने ग्रेजुवीटी और फेमिली पेंशन के लिए मुक़द्दमा दायर किया । ट्रब्यूनल ने इस की ताईद में फ़ैसला सुनाया लेकिन रियास्ती हुकूमत इस के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट से रुजू हुई जहां उसे नाकामी हुई |